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इस आतंकी हमले में कई सेना के जवान और कई बहादुर पुलिस वाले शहीद हुए थे। वहीं मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने कई जानें बचाई, लेकिन लोगों की हिफाजत करते हुए वो खुद शहीद हो गए थे। उस समय उनकी उम्र 31 साल थी। संदीप ने अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों को बचाने के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी। होटल ताज में उन्होंने आतंकियों से लोहा लिया और 14 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला था। इससे पहले वो ये कमाल कारगिल में कर चुके थे। जहां उन्होंने पाकिस्तान के कई सैनिकों को ढर कर दिया था। उन्होंने सेना के सबसे मुश्किल कोर्स ‘घातक कोर्स’ में टॉप किया था। अदम्य बहादुरी के लिए उन्हें सर्वोच्च पुरस्कार अशोक चक्र से नवाजा गया।
अपनी जान को दव पर लगाकर कई लोगों की जान बचाने वाले मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ( Major Sandeep Unnikrishnan ) का जन्म 15 मार्च 1977 को हुआ था। लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों से भिड़ने के दौरान इस जवान ने अपने साथियों से कहा था ‘तुम ऊपर मत आना, मैं संभाल लूंगा’। उनके कहे हुए ये शब्द दूसरे जवानों पर गहरी छाप छोड़ गए। इस आतंकी हमले में हेमंत करकरे और अशोक कामटे भी शहीद हुए थे। लेकिन सेना ने लोगों को अपनी जान पर खेलकर बचाया।