अनाज नहीं बल्कि खाने के लिए कीड़े तैयार करता है ये किसान, इनसे करता है मोटी कमाई आपको बता दें कि साल 2008 में मालेगांव बम धमाकों में नाम आने के बाद साध्वी प्रज्ञा को कई साल जेल में गुजारने पड़े थे। इसके बाद साल 2018 में वो जेल से बाहर आई थीं। दरअसल जेल में साध्वी प्रज्ञा को ब्रेस्ट कैंसर हो गया था। अब वे बम धमाके के आरोपों से दोषमुक्त हो चुकी हैं और बीजेपी के साथ अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करने जा रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि साध्वी प्रज्ञा ने देश के लिए कई बलिदान दिए हैं। उनसे जुड़ा हुआ एक किस्सा बहुत प्रचलित हैं, जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
साध्वी प्रज्ञा का रुझान बचपन से ही आध्यात्म की तरफ था। 14 साल की उम्र तक वे सांसारिक बंधनों से खुद को निकालने के बारे में सोंचने लगीं। इसी उम्र में उन्होंने संन्यास ले लिया। दरअसल, साध्वी प्रज्ञा देश और समाज के लिए काम करना चाहती थीं। साध्वी बनने के बाद इन्होने मध्य प्रदेश से अपने काम की शुरुआत की और गांव-गांव में जाकर धर्म का प्रचार करना शुरू किया।
अपने ओजपूर्ण भाषणों की वजह से साध्वी प्रज्ञा को लोग पहचानने लगे। तभी इनसे प्रभावित होकर भाजपा के एक तत्कालीन एमएलए ने उनके सामने शादी का प्रस्ताव रखा, जिसे साध्वी प्रज्ञा ने तुरंत ठुकरा दिया। साध्वी प्रज्ञा ने एमएलए से कहा कि वो देश सेवा के लिए बनी हैं और इसी के लिए उन्होंने संन्यास लिया है। वो शादी नहीं करना चाहती हैं।