इस शोध के विषय में शोधकर्ताओं ( Researchers ) का कहना है कि हमारा इरादा ये पता करना का था कि इसमें कोशिकाओं के काम के बारे में मालूम किया जाए। जो कि इस वायरस ( Virus ) से लड़ रहे हैं उनका मानना है कि इससे इस खतरनाक वायरस के लिए वैक्सीन तैयार करने में मदद मिल सकेगी।
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इस खोज को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि हमें पहली बार शोध से यह पता चल पा रहा है कि हमारा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कोरोना वायरस से कैसे लड़ती है। शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया कि आखिर मानव शरीर का सुरक्षा तंत्र इस वायरस को कैसे हरा पाता है।
शोध से क्या मालूम हुआ?
शोध में मुख्यत चार प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाओं की पहचान की गई है, जिन्हें कोरोना से लड़ने के काबिल पाया गया। शोधकर्ताओं ने बताया कि जब संक्रमित शख्स की स्थिति में सुधार आने लगता है, तो उनके खून के बहाव में कुछ खास तरह की कोशिकाओं को देखा गया। ये कुछ उसी तरह की कोशिकाएं है, जैसी कि इंफ्लूएंजा के मरीजों में ठीक होने से पहले नज़र आती हैं।
कितना मददगार है शोध?
स्विनबर्न यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में हेल्थ साइसेंज के डीन प्रोफेसर ब्रूस थॉम्पसन के मुताबिक इससे आपको यह पता होता है कि विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएं कब होंगी, तब यह पता लगाने में आसानी होती है कि आप इस वायरस और उसका प्रतिक्रिया की पहचान करने के असल में कितने नज़दीक हैं। शोध के आधार पर माना जा रहा है कि इससे कोरोना के लिए वैक्सीन बनाने की दिशा में तेजी आएगी।
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अब क्या होगा अगला स्टेप?
शोध से जुड़ी प्रोफ़ेसर केडज़िएर्स्का का कहना है कि उनकी टीम का अगला स्टेप यह पता करना होगा कि जिन मामलों में संक्रमण काफी बढ़ा हुआ था उस समय प्रतिरक्षा प्रक्रिया क्यों कमज़ोर हो गई। इसलिए यह जानना काफी मायने रखता है कि जिन लोगों की मौत हुई उनके शरीर में किस चीज़ की कमी थी। इस जानने पर यह समझना आसान हो जाएगा कि लोगों को सुरक्षित कैसे बचाया जाए।