तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेस के एंड्रोक्रोनोलॉजी डिपार्टमेंट ने अपनी रिसर्च में पाया कि एंटीआक्सीडेंट की प्रचुर मात्रा वाली दवाईयां मधुमेह तथा कोरोना के संक्रमित मरीजों को नियंत्रित कर रही हैं जबकि अन्य उपचार करा रहे लोगों में साइटोकिन्स की अति सक्रियता देखी गई। खास बात यह है कि भारत में डायबिटीज के उपचार के लिए आयुर्वेदिक दवाएं बहुत प्रचलित हैं। केन्द्र सरकार के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने बीजीआर-34 जैसी सफल दवाएं विकसित की है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट की प्रचुर मात्रा है।
भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाई है डायबिटीज की आयुर्वेदिक दवा भारत सरकार के शोध संस्थान एनबीआरआई के पूर्व वैज्ञानिक एवं बीजीआर-34 विकसित करने वाले वैज्ञानिक एकेएस रावत शोध के दावों को महत्वपूर्ण मानते हैं। वे कहते हैं कि बीजीआर-34 में दारुहरिद्रा, गिलोय, विजयसार, गुडमार, मजीठ तथा मैथिका जैसे हर्ब मिलाए गए हैं। ये रक्त के ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित रखने के साथ-साथ शरीर में एंटी ऑक्सीडेंट्स की मात्रा भी बढ़ाते हैं।
रिसर्च के अनुसार जो लोग डायबिटीज से ग्रस्त हैं और कोरोना में भी संक्रमित हो रहे हैं, उनमें कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने से हाईपरग्लेसिमिया की स्थिति पैदा हो रही है जिससे रक्त में इंसुलिन की मात्रा एकदम से कम हो जाती है। दूसरे कोरोना की वजह से प्रतिरोधक कोशिकाओं की कार्यप्रणाली भी बिगड़ रही है। दोनों का नतीजा यह है कि बीमारी गंभीर हो रही है तथा मौत का कारण भी बन रही है।