पेट्रोल भरवाते समय नहीं रखा ध्यान, तो आपको भी लग सकता है ऐसे चूना
ये है वो दावा
दरअसल, सोशल मीडिया पर एक खबर का स्क्रीनशॉट शेयर किया जा रहा है। इसमें एक वृद्ध पुलिसवाले के साथ खड़ा है। इसमे लिखा है ‘जेएलयू कैंपस के पीएचडी छात्रों के बीच झड़प के दौरान पुलिसवाले को अपने खोए अंकल वहीं पढ़ते मिले।’ वहीं फेसबुक यूजर ‘Shastra Veer’ ने इस स्क्रीनशॉट के साथ कैप्शन में लिखा ‘मुफ्तखोरों को पता है कहां फ्री खाना और फ्री रहना मिलेगा। ये मुफ्तखोर वहीं पहुंच जाते हैं। 70 साल का मोइनुद्दीन जेएनयू से अपनी पीएचडी पूरी करने के बाद।’
सच्चाई भी जान लीजिए
हमने इस दावे की पड़ताल की तो पाया कि शेयर की जा रही तस्वीर और दावा दोनों ही फर्जी है। दरअसल, फोटो में दिख रहे बुजुर्ग का नाम रेहत अली है और उनके साथ खड़ा युवक उनका बेटा लुकमान अली है। जो तस्वीर असली है उसमें लुकमान ने साधारण सी टीशर्ट पहनी है, लेकिन वायरल हो रहे फोटो को एडिट कर उन्हें पुलिस की वर्दी में दिखाया गया है। असम के रहात अली इसी साल जेल से छूटे हैं। उन पर आरोप था कि वो बांग्लादेशी हैं, लेकिन ये आरोप साबित नहीं हो पाए। इसलिए वो 3 साल बाद जेल से बाहर आ गए।