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एक ने बनाई बांस और ईंटों से देसी जिम, दूसरी स्कूटर पर चला रही मोबाइल लाइब्रेरी

इन कहानियों को लेकर पढ़कर आप भी सोचने के लिए मजबूर हो जाएंगे कि अगर इंसान मन में ठान ले तो कुछ भी कर सकता है। पहली कहानी की बात करें तो इसमें एक शख्स ने गांव में बगीचे में बांस और ईंटों से देसी जिम बनाई है। इस जिम में आर्मी की तैयारी करने वाले युवा रोजाना आते है। दूसरी कहानी एक टीचर की है, जो बच्चों को घर-घर जाकर पढ़ा रही है।

Sep 28, 2020 / 04:32 pm

Shaitan Prajapat

 desi gym

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महामारी कोरोना ने पूरी दुनिया में आतंक मचा रखा रहा है। इस दौरान कई कहानियां सामने आई है, जो हर किसी के लिए प्ररेणादायक हो सकती है। लॉकडाउन के दौरान लोगों ने कई काम ऐसे किए जो चर्चा का विषय बना हुआ है। आज आपको लिए दो अलग-अलग कहानियां लेकर आए है। इन कहानियों को लेकर पढ़कर आप भी सोचने के लिए मजबूर हो जाएंगे कि अगर इंसान मन में ठान ले तो कुछ भी कर सकता है। पहली कहानी की बात करें तो इसमें एक शख्स ने गांव में बगीचे में बांस और ईंटों से देसी जिम बनाई है। इस जिम में आर्मी की तैयारी करने वाले युवा रोजाना आते है। दूसरी कहानी एक टीचर की है, जो बच्चों को घर-घर जाकर पढ़ा रही है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि टीचर अपने स्कूटर पर ही मोबाइल लाइब्रेरी चला रही है।


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100 लोग आते है रोजाना
मध्यप्रदेश के सतना जिले के गोब्रावखुर्द गांव में एक शख्स ने देसी जिम बनाई है। नृपेंद्र सिंह नाम के इस शख्स ने इसके लिए सब्जी और फलों के बगीचे को चुना है। एक रिपोर्ट नृपेंद्र सिंह ने यह जिम इसलिए बनाई है ताकि अपने आस-पास के इलाके के नौजवान फिट रह सके। इसके साथ ही आर्मी की तैयारी करने युवाओं यह बेहतरीन मौका है। नृपेंद्र ने लॉकडाउन के दौरान यह जिम ईंटों और बांस से बनाई है। उन्होंने कहा कि यह जिम युवा पीढ़ी को एक ऊर्जा दे रहा है। यहां आर्मी में जाने के लिए तैयारी कर सकते हैं। यह जिम बिल्कुल फ्री है। कोई भी यहां आता और वर्कआउट करता है। इस जिम में रोजाना 70 से 100 लोग आते हैं।


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Mobile library

स्कूटर पर मोबाइल लाइब्रेरी
दूसरी कहानी उषा टीचर की है। सिंगरौली जिले के वैधान की रहने वाली उषा रोजाना बच्चों को पढ़ाने के लिए अपने स्कूटर से मोबाइल लाइब्रेरी चलाती है। वो गांव-गांव जाकर शिक्षा के प्रति बच्चों में अलख जगा रही है। आपको बता दें कि वह एक सरकारी टीचर होने के बावजूद भी यह काम कर रही हैं। उषा ने बताया कि राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल की ओर से ‘हमारा घर हमारा विद्यालय’ प्रोग्राम 18 अगस्त से 24 सितंबर तक चलाया गया। उन्होंने बताया कि उसी दौरान उन्हें यह आइडिया मिला। अब वह अपने स्कूटर से ही मोबाइल लाइब्रेरी चला रही है। वह रोजाना गली-मोहल्लों में जाकर बच्चों की क्लासेज भी ले रही है।

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