एडवायज़री से भी बढ़कर करना होगा कुछ ऐसा क्यों है कि एडवायज़री जारी करने के बाद भी हम अपने चेहरे को छूने से अपने आपको नहीं रोक पाते। इस बारे में मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति को किसी खास को न करने के लिए कहा जाए, तो उसका दिमाग़ न चाहते हुए भी उसी चीज़ को करेगा। इसिलए ये वास्तव में एक आदत को तोड़ने का सबसे अप्रभावी तरीका है। एक इंसान को ऐसी आदत तोड़ना जो वह बचपन से कर रहा है, आसान नहीं है। इसलिए इसके लिए एडवायज़री से बढ़कर कुछ करना होगा।
1 घंटे में 19 बार टच होता है चेहरा पोर्टलैंड स्थित ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी में फेमिली मेडिसन की प्रोफेसर डॉ. नैन्सी सी एल्डर कहती हैं कि आंख, कान और नाक को छूना लोगों की गंदी आदत है। आंखों को मलना, नाक खुजाना, गाल और ठोढ़ी पर उंगलियां फेरना यह सामान्य है। डॉ. नैंसी ने अपने क्लीनिक स्टाफ के 79 लोगों को टॉस्क देकर एक कमरे में दो घंटे के लिए छोड़ दिया। निगरानी में यह पाया गया कि सभी ने 1 घंटे के भीतर ही अपने चेहरे के विभिन्न अंगों को 19 बार टच किया।
एक मिनट में ही 12 बार चेहरे को छू लेते हैं कई लोग सिडनी स्थित साउथ वेल्स विश्वविद्यालय में महामारी और संक्रमण विषय की प्रोफेसर और 2015 में ‘फेस टचिंग’ नामक विषय पर स्टडी रिपोर्ट तैयार करने वाली डॉ. मैरी-लुईस मैक्लाव्स कहती हैं कि ‘मेरी रिपोर्ट कोरोना के इस दौर में प्रासंगिक हो गई है। मैंने यह रिपोर्ट अपने 26 स्टूडेंट्स के आधार पर बनाई थी, जिसमें हर एक घंटे के दौरान लोग औसतन 23 बार अपने चेहरे को स्पर्श करते हैं। मैं कॉन्फ्रेंस के सिलसिले में दुनिया के कई हिस्सों में जाती रहती हूं। अक्सर देखती हूं कि लोग एक मिनट के भीतर ही दर्जन बार अपनी आंख, नाक, कान और माथे को बेपरवाह तरीके से स्पर्श कर लेते हैं। आंखें रगड़ना, नाक खुजलाना, ठोढ़ी के बल टेक लगाना यह बहुत सामान्य आदत है, लेकिन इसे कोरोना जैसी महामारी के चलते छोड़ना ही होगा।’