scriptयहां आज भी गुफाओं में रहते हैं लोग, 2000 साल से आबाद हैं ये गुफाएं | People still live here in caves, caves are inhabited since 2000 years | Patrika News
हॉट ऑन वेब

यहां आज भी गुफाओं में रहते हैं लोग, 2000 साल से आबाद हैं ये गुफाएं

इन गुफाओं में करीब 7 कमरे होते हैं
जिनकी लंबाई 2 मीटर और चौड़ाई 20 वर्ग मीटर होती है

Dec 26, 2019 / 05:59 pm

Pratibha Tripathi

caves.jpeg

नई दिल्ली। दुनिया के हर देश में कोई ना कोई ऐतिहासिक या पुरातात्विक धरोहर होता है जिसे यूनेस्को विश्व विरासत के रूप में संरक्षण के साथ अलग पहचान देता है> यूनेस्को के धरोहर में एक ऐसा ही नाम है ईरान की गुफाओं का, ईरान में बड़ा भाग पठारी है यहीं सदियों पुरानी गुफाएं मौजूद हैं जहां आज भी इनसान रहते है।
ईरान के काबाइली इलाके में एक गांव है. इस गांव का नाम है मेमंद. राजधानी तेहरान से करीब 900 किलोमीटर दूर बसा गांव मेमन्द, यहां के निवासी घुमंतू जनजाति के हैं, ये लोग पहाड़ी गुफाओं में रहते हैं और नरम चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं ये गुफाएं, गुफाओं की बनावट और उनकी दीवारों पर उकेरे गए चित्रों को देख कर यह यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह गुफाएं करीब 10000 साल पहले बनाई गई होंगी, यूनेस्को ने इस पूरे इलाके को विश्व विरासत घोषित किया है। इतिहासकार बताते हैं कि इन गुफाओं में करीब 2000 साल से लोगों का निवास है वैसे ईरान के इस इलाके में ज्यादातर पहाड़ सूखे हैं और यहां वनस्पति नहीं है इसीलिए यहां गर्मी बेतहाशा पड़ती है जब गर्मी पड़ती है तो सर्दी भी जबदस्त होती है।

caves2.jpg

इस इलाके में जब जानलेवा गर्मी पड़ती है तो लोग पहाड़ों के ऊपर छत पर डालकर समय बिताते हैं और जब हाड़ कपा देने वाली ठंड पड़ती है तब यहां के निवासी इन गुफाओं में रहने चले जाते हैं। एक समय था जब यहां 400 से अधिक गुफाएं थी लेकिन मौजूदा दौर में 90 के आसपास गुफा बची रह गई हैं गोपाल उमा इन गुफाओं में करीब 7 कमरे होते हैं जिनकी लंबाई 2 मीटर और चौड़ाई 20 वर्ग मीटर होती है खास बात यह है कि इन गुफाओं में रहने के लिए हर तरह के साजो सामान होते हैं।
इन गुफाओं में बिजली की सप्लाई भी निर्बाध होती है यहां लोग फ्रीज टीवी इस्तेमाल करते हैं और पानी की सप्लाई की भी व्यवस्था यहां है किचन धुए से काला ना पड़े इसलिए लोग दीवार की ऊपरी परत पर फ़िल्म लगते हैं।

इतिहासकार मानते हैं कि यहां पारसी धर्म के लोग निवास करते थे जिनकी आबादी धीरे-धीरे घट गई हैं और पारसी समुदाय के पूजा पाठ एवं उनके जीवन शैली के निशान आज भी यहां पर मिलते हैं, यहां पारसी समुदाय के मंदिरों के भी निशान हैं लेकिन सातवीं शताब्दी में इस्लाम के बढ़ने के साथ ही यह निशान धीरे-धीरे खत्म होने लगे और पारसी समुदाय भी यहां घटने लगा है।

बता दें कि ईरान में पारसी धर्म सबसे पुराना है। किसी दौर में यहां पारसियो की बड़ी आबादी रहती थी। इसके कुछ निशान आज भी मिलते हैं। इनमें से किचन दोबांदी ऐसी ही एक गुफा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि प्राचीन काल में वो पारसियों का मंदिर था, लेकिन 7वीं शताब्दी में इस्लाम के फैलने के बाद ये निशान खत्म होने लगे।

Hindi News / Hot On Web / यहां आज भी गुफाओं में रहते हैं लोग, 2000 साल से आबाद हैं ये गुफाएं

ट्रेंडिंग वीडियो