फिल्म के ट्रेलर की शुरुआत में कृति सेनन कहती हैं- मराठा, हिंदोस्तान के वो योद्धा, जिनके लिए उनका धर्म और कर्म उनकी वीरता है। ट्रेलर में अर्जुन कपूर और कृति सेनन की केमिस्ट्री भी देखने को मिल रही है। वहीं फिल्म में संजय दत्त का खूंखार अंदाज भला कैसे भुलाया जा सकता है।
हमें ये भले ही मालूम न हो कि ये फिल्म पर्दे पर क्या कमाल दिखा पाएगी लेकिन इतिहास के पन्नों में पानीपत की लड़ाई का महत्व ही अलग है। यूं तो भारत में कई लड़ाईयां लड़ी गई लेकिन पानीपत की लड़ाई का जिक्र इतिहास में बहुत तरीकों से किया जाता रहा है।
दिल्ली के तख्त के लिए हुई पानीपत की लड़ाई के बारे में ऐसा कहते हैं कि इस लड़ाई में भारतीय राजाओं की जीत होती तो भारत में विदेशी कभी अपनी सत्ता काबिज नहीं कर सकते थे। पानीपत इस वक्त हरियाणा राज्य का प्रमुख जिला है। जो कि दिल्ली के करीब ही है।
पानीपत ऐसी जगह है जहां बारहवीं शताब्दी के बाद से उत्तर भारत के नियंत्रण को लेकर कई निर्णायक जंग लड़ी गई। चलिए एक बार फिर नज़र ड़ालते है इतिहास के पन्नों पर कि आखिर ये लड़ाई क्यों लड़ी गई।
जानिए पानीपत पहली लड़ाई के बारें में पानीपत की सबसे पहली लड़ाई 21 अप्रैल 1526 को दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच हुई थी। बाबर एक तुर्क था जिसने भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी थी। इस लड़ाई में इब्राहिम लोदी को करारी शिकस्त मिली थी।
इतिहासकारों के मुताबिक इस भीषण जंग में मुगल शासक इब्राहिम लोदी और उनके 15,000 सैनिक मारे गए। इस लड़ाई ने भारत में बहलुल लोदी द्वारा स्थापित लोदी वंश को समाप्त कर दिया था। जिसके बाद बाबर का दिल्ली और आगरा में आधिपत्य स्थापित हो गया था।
जानिए पानीपत दूसरी लड़ाई के बारें में पानीपत का दूसरा युद्ध5 नवंबर 1556 को अकबर और सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य के बीच हुआ। इस लड़ाई में हेमचन्द्र को हार मिली। जिसका फायदा उठाकर मुगल सेना ने कत्लेआम करना शुरू कर दिया। राजा हेमचन्द्र की दुर्दशा को देखकर उनकी सेना मैदान से भाग गई।
इसी बीच अकबर या बैरमखां ने हेमचंद्र का सिर धड़ से अलग कर दिया। इसके बाद अकबर का दिल्ली और आगरा पर कब्जा हो गया। एक कहावत के मुताबिक राजा हेमू का सिर काबुल भेज दिया गया और उसका धड़ दिल्ली के एक दरवाजे पर लटका दिया गया।
कौन था हेमचन्द्र राजा हेमचंद्र ने पंजाब से बंगाल तक (1553-1556) के दौरान अफगान विद्रोहियों के खिलाफ 22 युद्ध में जीत हासिल की थी। इसके बाद1556 को दिल्ली में पुराना किले में हेमू का राज्याभिषेक हुआ।
पानीपत की दूसरी लड़ाई से पहले हेमचन्द्र ने उत्तर भारत में विदेशियों के खिलाफ ‘हिन्दू राज’ की स्थापना की थी। हेमचंद्र ने लड़ाई से करीब एक महीने पहले अकबर के सेनापति को हराकर दिल्ली की सत्ता कब्जाई थी।
पानीपत की तीसरी लड़ाई अब करते है उस लड़ाई की बात जिस पर गोवरीकर ने फिल्म बनाई हैं। 1761 में अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली और पुणे के सदाशिवराव भाऊ पेशवा के बीच लड़ी गई थी।
इस लड़ाई में सदाशिवराव भाऊ को हार का सामना झेलनी पड़ी थी। इस हार को इतिहास में मराठों की सबसे बुरी हार माना जाता है। पानीपत के पहले युद्ध ने एक ओर जहां मुगल साम्राज्य की नींव स्थापित की थी।
जबकि दूसरे युद्ध ने अकबर के लंबे शासन की नींव रखी। पानीपत की तीसरी लड़ाई ने भारत में अग्रेजों की विजय के रास्ते खोल दिए थे। कई जानकार मानते हैं कि अगर पानीपत में यदि हेमचंद्र के साथ दुर्घटना नहीं हुई होती तो देश में मुगल साम्राज्य स्थापित नहीं होता।
अहमद शाह अब्दाली से सदाशिवराव भाऊ पेशवा जीत जाते तो भी अंग्रेजों की देश में घुसने नहीं दिया जाता। इन सबके बावजूद मराठा और राजपूतों ने देश के एक बहुत बड़े हिस्से पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था।