नई दिल्ली। केरल को उसके कुदरती नजारों के लिए जाना जाता है। यहां की खूबसूरत वादियों में वक्त गुजारने अक्सर सैलानी आते हैं। मगर इन दिनों यहां नीलकुरिंजी नामक दुर्लभ फूल को देखने के लिए भीड़ लगी है। बताया जाता है कि ये फूल करीब 13 साल में एक बार खिलता है। आखरी बार ये साल 2006 में खिला था।
केरल के लोग इसे कुरिंजी कहते हैं। ये स्ट्रोबिलेंथस की एक किस्म है। इसकी करीब 350 फूलों वाली प्रजातियां भारत में ही हैं। ये फूल ज्यादातर सड़क किनारे ही खिलते हैं। यह फूल बैंगनी रंग का होता है। ये अगस्त के महीने में खिलना शुरू होता है और अक्तूबर तक इसका मौसम रहता है। इस फूल के लिए कुरिंजीमाला नाम का संरक्षित क्षेत्र है जोकि मुन्नार से 45 किलोमीटर दूर है।
यह फूल इतना खास है कि तोडस, मथुवंस और मनडियास जाति के आदिवासी के लोग इसकी पूजा करते हैं। 2006 में केरल के जंगलों का 32 वर्ग किलोमीटर इलाका इस फूल के संरक्षण के लिए सुरक्षित रखा गया था। इसे कुरिंजीमाला सैंक्चुअरी का नाम दिया गया। वैली ऑफ फ्लॉवर के बाद ये भारत की दूसरी फ्लॉवर सैंक्चुअरी है। यहां नीलकुरिंजी की तमाम प्रजातियां संरक्षित की जाती हैं।