मायावती का बचपन काफी उतार-चढ़ावों से भरा रहा और उन्होंने अपनी हिम्मत और हौसलों की बदौलत ये बात साबित कर दी कि इंसान अगर चाह ले तो ज़मीन से आसमान तक का सफर दूर नहीं हैं। मायावती जब पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री चुनी गयीं तो उन्होंने एक साथ दो रिकॉर्ड बनाए थे जिनमें पहला सबसे युवा मुख्यमंत्री का था और दूसरा रिकॉर्ड देश की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री बनने का, तो आज उनके 63वें जन्मदिन के मौके पर हम आपको मायावती के उस भाषण के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने उनकी ज़िंदगी ही बदल कर रख दी थी।
कांस्टिट्यूशन क्लब का भाषण ये बात साल 1977 के सितंबर महीने की है जब उस दौर की सत्ताधारी पार्टी जनता पार्टी ने कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में एक कार्यक्रम का आयोजन किया था जिसमें भाषण देते हुए इस पार्टी के बड़े नेता राजनारायण जिन्होंने 1977 के चुनावों में इंदिरा गांधी को करारी शिकस्त दी थी वो अपने भाषण में में बार-बार दलितों को हरिजन कहकर संबोधित कर रहे थे। यह बात इस कार्यक्रम में मौजूद मायावती को नागवार गुज़र रही थी। राजनारायण का भाषण ख़त्म होते ही मायावती को मंच पर आने का मौक़ा मिला तो उन्होंने पार्टियों पर हमला करते हुए कहा कि नेता हरिजन शब्द का इस्तेमाल करके दलितों को अपमानित करते हैं, मायावती ने बताया कि बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान में हरिजन शब्द का नहीं बल्कि दलितों के लिए अनुसूचित जाति का इस्तेमाल किया है। मायावती के इतना कहते ही इस कार्यक्रम में राजनारायण के खिलाफ नारे लगने लगे।
कार्यक्रम खत्म होने के बाद इस बात की जानकारी कांशीराम को लगी तब वो देर रात ही इंद्रपुरी की झुग्गियों में मायावती से मिलने चले गए। इस समय मायावती का परिवार रात का खाना खाकर सोने की तैयारी में था तभी मायावती के घर के दरवाज़े पर दस्तक होती है और फिर काशीराम उनके घर आते हैं और मायावती से एक घंटे तक मुलाकात करते हैं। बस ये दिन था और आज का दिन है मायावती हमेशा आगे बढ़ती चली गयीं यहां तक की राजनीति में आने के लिए उन्होंने अपने पिता का घर भी छोड़ दिया। मायावती की मेहनत का नतीजा ये हुआ कि आज वो बसपा पार्टी की सुप्रीमो हैं।