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शिवपुराण के मुताबिक शिव पहली बार अन्नामलाई पर्वत (annamalai parvat) का क्षेत्र में ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) के रूप में प्रकट हुए थे।जिन्हें अरुणाचलेश्वर महादेव (arunachaleswara mahadev) के नाम से जाना जाता है।अन्नामलाई पर्वत तमिलनाडु में स्थित है। पौराणिक कथाओं में इस ज्योतिर्लिंग की पूरी कहानी भी है।
बताया जाता है कि एक बार भगवान शिव (shiv) मां पावर्ती के साथ कैलाश पर्वत पर बैठ बात कर रहे थे। तभी पावर्ती जी ने खेल खेल में भोले की आखों को अपने हाथों से ढ़क लिया। जिसके बाद पूरे संसार में अधेंरा छा गया और हर जगह त्राहिमाम मच गया। जिसके बाद माता पार्वती (parvati) के साथ अन्य देवताओं ने मिलकर तपस्या की। तब शिवजी अग्निपुंज के रूप में अन्नामलाई पर्वत ही इस श्रृंखला पर प्रकट हुए। जिसे अब अरुणाचलेश्वर मंदिर के नाम से जाना गया।
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अन्नामलाई पर्वत (annamalai parvat) की तराई में स्थित इस मंदिर में हर पूर्णिमा को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। कार्तिक पूर्णिमा पर यहां विशाल मेला लगता है। श्रद्धालु यहां अन्नामलाई पर्वत की 14 किलोमीटर लंबी परिक्रमा कर शिव को खुश करते हैं। कहा जाता है कि ये यह शिव का विश्व में सबसे बड़ा मंदिर है।
अरुणाचलेश्वर मंदिर के 8 दिशाओं में 8 शिवलिंग स्थापित हैं जो अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं और इनका अलग-अलग राशियों से माना जाता है। लोग अपनी राशि के अनुसार ग्रहों के दोष दूर करने के लिए इनकी विशेष पूजा करवाते हैं।