होली एक ऐसा रंग-बिरंगा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। होली का अपना अलग इसका पौराणिक महत्व है। होली मनाने के पीछे कई प्रकार की मान्यताएं हैं। इन्हीं मान्यताओं के अनुसार, पुराणों में होली की कुछ कहानियों का जिक्र मिलता है।
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आइए जानते हैं होली की ऐसी ही प्रचलित कहानियों के बारे में
प्रह्लाद और होलिका
भक्त प्रह्लाद की भगवान विष्णु ( Lord Vishnu ) के प्रति आस्था को देखकर उनके नास्तिक पिता हिरणकश्यप ने उसे अपनी बहन होलिका के हाथों आग में जलाना चाहा। लेकिन प्रह्लाद को तो कुछ नहीं हुआ मगर हिरणकश्यप की बहन होलिका जलकर राख हो गई।
राधा-कृष्ण से जुड़ी है होली
ब्रज क्षेत्र यानी मथुरा, वृंदावन, गोकुल, बरसाना और नंदगांव के आराध्य देवता भगवान कृष्ण और राधा की प्रेम कहानी को भी होली से जोड़कर देखा जाता है। बसंत ऋतु में एक-दूसरे को रंग बिरंगे रंगों से रगना भगवान कृष्ण की लीलाओं में से एक माना गया है। होली को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
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शिव-पार्वती से भी है ताल्लुक
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक पुराणों में इस बात का जिक्र मिलता है कि देवी पार्वती भगवान शिव ( Lord Shiva ) से विवाह करना चाहती थीं, मगर भगवान शिव अपनी तपस्या में लीन थे। ऐसे में कामदेव ने पार्वती की सहायता करने के लिए शिव की तपस्या तोड़ दी।
भगवान शिव ने क्रोध में आकर कामदेव को भस्म कर दिया। फिर जब शिव ने पार्वती को देखा तो उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। वहीं अपने पति की मौत से दुखी कामदेव की पत्नी रति के भगवान शिव से प्रार्थना करने पर प्रभु ने उन्हें जीवित कर दिया, तब से रंगों का त्योहार होली के मनाने का सिलसिला शुरू हुआ।