दरअसल अमरनाथ यात्रा के दर्शन के दौरान ही रास्ते में शेषनाग झील पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि इसी झील में शेषनाग निवास करते हैं। प्राचीन काल से इस झील का काफी महत्व है।
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250 फीट से ज्यादा गहर है शेषनाग झील
इस प्राचीन शेषनाग झील को लेकर माना जाता है कि, ये 250 फीट से भी ज्यादा गहरी है। झील को लेकर मान्यता है कि इसमें शेषनाग खुद निवास करते हैं। यही वजह है कि इस झील में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा सकती है।
अमरनाथ यात्रा के दौरान रास्ते में पड़ने वाली इस झील को लेकर ये मान्यता है कि शेषनाग 24 घंटे में एक बार भक्तों को दर्शन जरूर देते हैं। हालांकि ये भी कहा जाता है कि ये दर्शन किस्मत वालों को ही होते हैं।
इस झील में शेषनाग के निवास करने की मान्यता इसलिए भी ज्यादा बलवती है क्योंकि लोगों के समय-समय पर इस झील में शेषनाग की आकृति भी दिखाई देती है। ये आकृति पानी पर उभरकर आती है।
भगवान शिव और पार्वती से जुड़ा है इतिहास
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, शेषनाग झील का इतिहास भगवान शिव औऱ मां पार्वती से जुड़ा है। दऱअसल एक बार भगवान शिव मां पार्वती को अमर कथा सुनाने के लिए अमरनाथ ले जा रहे थे।
शिव ने नाग, नंदी और चंद्रमा को छोड़ा
यही वजह है कि जिस वक्त भगवान शिव ये अमर कथा पार्वती को सुनाने के लिए निकले, तभी भगवान शिव ने अनंत सांपों – नागों को अनंतनाग में और बैल नंदी को पहलगाम में और चंद्रमा को चंदनवाड़ी में ही छोड़ दिया। ऐसे में उनके साथ सिर्फ शेषनाग ही थे। यही वजह है कि इस जगह शेषनाग निवास करने लगे।
शेषनाग के इस झील में निवास करने को लेकर एक मान्यता ये भी है कि, इस झील को खुद शेषनाग ने ही खोदा था। शिव-पार्वती की पसंदीदा जगह होने की वजह से उन्हें ये स्थान प्यारा है। वहीं स्थानीय निवासियों की मानें तो इस झील अब तक कोई भी पार नहीं कर सका है।
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