मंदिर को लेकर कई तरह की मान्यताएं भी हैं, जिसका आधार ही चमत्कारी शक्तियों से जुड़ा हुआ है। नवरात्रि के पावन दिनों में यहां भक्तों का इतना भारी सैलाब उमड़ पड़ता है कि उन पर काबू पाना काफी मुश्किल हो जाता है। माता छिन्नमस्तिका का यह चमत्कारी मंदिर भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर मौजूद है। माता की चमत्कारी शक्तियों से यहां आने वाला कोई भी भक्त कभी वंचित नहीं रहता। सच्चे मन से माता के दरबार में आने वाले सभी भक्तों की सभी मनोकामनाओं को मां अवश्य पूरा करती हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि मंदिर में मौजूद मां छिन्नमस्तिका का सिर अपने धड़ से अलग है, जहां से रक्त की धाराएं बहती हैं। ये रक्त की धाराएं जाकर योगिनियों के मुख में गिरती हैं। माता छिन्नमस्तिका को लेकर एक कथा काफी प्रचलित है, जिसके अनुसार मां ने भूख से तड़प रही योगिनियों का पेट भरने के लिए अपना सिर काट दिया था और उन्हें अपना खून पिलाया था। भक्तों का मानना है कि मां अपने चाहने वालों को कभी भी दुविधा में नहीं देख सकती हैं। यही कारण है कि वे हमेशा अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं। बता दें कि मंदिर में मां छिन्नमस्तिका के अलावा सूर्य देव, हनुमान, महाकाली, भगवान शिव और महाविद्या मंदिर भी है।