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हरियाणा में मूर्ति भैंस की मौत, सम्मान में रखा मृत्युभोज, शामिल हुए दूर-दराज के रिश्तेदार

पालतू जानवरों से प्यार करते तो आपने कई लोगों को देखा होगा, लेकिन क्या इनकी मौत पर सम्मान में मृत्युभोज करते देखा है। यही नहीं इस भोज में दूर-दूर से रिश्तेदारों को पहुंचते देखा है। कुछ ऐसा ही हुआ है हरियाणा के कैथल में। जहां एक भैंस की मौत के बाद सम्मान में मृत्युभोज रखा गया।

Mar 14, 2022 / 01:12 pm

धीरज शर्मा

Haryana's Murti Buffalo Died At The Age of 18 Funeral Was Held In Honor

Haryana’s Murti Buffalo Died At The Age of 18 Funeral Was Held In Honor

एनिमल लवर्स तो आपने कई देखे और सुने होंगे। लेकिन हरियाणा में खास तौर पर पशुओं के लिए प्यार देखा जा सकता है। क्योंकि पुराने समय से लेकर अब तक पालतू पशुओं ने अपने मालिको के नाम देश-प्रदेश में रोशन किए हैं। जानवर से प्यार का एक ऐसा ही उदाहरण एक बार फिर हरियाणा में देखने को मिला है। मामला हरियाणा के कैथल जिले का है। यहां के बुढ़ाखेड़ा का सुल्तान (Sultan Bull) व रेशमा के बारे में कई लोग जानते ही हैं। ऐसा ही पशुप्रेम (Animal Love) का एक और मामला सामने आया है। इसमें गांव गढ़ी में रामकरण नाम के एक किसान ने अपनी भैंस मूर्ति की मौत के बाद उसके सम्मान में मृत्युभोज रखा।

कैथल के रामकरण ने अपनी भैंस मूर्ति को अपने परिवार के सदस्य की तरह मानते थे। यही वजह है कि मूर्ति की मौत पर उन्होंने मृत्युभोज रखा। आम तौर पर मृत्युभोज परिवार के सदस्यों के निधन के बाद रखा जाता है।

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सभी रिश्तेदारों और सगे संबंधियों को बुलाया

रामकरण ने मूर्ति के मृत्युभोज के लिए अपने सभी रिश्तेदारों और सगे संबंधियों को भी न्योता दिया। खास बात यह है कि मूर्ति के मृत्युभोज में दूर-दराज से रामकरण के रिश्तेदार शामिल भी हुए।


मिठाई समेत तरह-तरह के पकवान बने

रामकरण ने पूरे सम्मान के साथ मूर्ति के लिए मृत्युभोज रखा। भोज में मिठाई के साथ-साथ तरह-तरह के पकवान बनवाए गए और सभी सगे-सम्बन्धी पहुंचे। रामकरण और परिजनों ने बताया कि भैंस मूर्ति ने 18 बच्चे दिए और लगभग 18 साल तक उनके परिवार को दूध पिलाकर लालन पालन किया।
इसलिए मूर्ति के प्रति सम्मान

रामकरण की मानें तो उसके बच्चे मूर्ति का दूध पीकर ही बड़े हुए हैं। उसकी दी हुई कटड़ियां कई लाख रुपए की बिकी। जिस भैंस ने उनके परिवार के लिए इतना किया तो उसका सम्मान तो बनता है।

रामकरण ने कहा कि, जिस तरह से एक इंसान की मृत्यु होती है तो संस्कार स्वरूप जितने भी क्रियाकर्म होते हैं वो सभी मूर्ति के संस्कार में भी किये गए। जैसे परिवार में एक बुजुर्ग के सम्मान में मृत्युभोज का आयोजन किया जाता है वैसे ही भैंस मूर्ति के सम्मान में भी किया गया।

सुल्तान की मौत पर भी गम में डूबा था हरियाणा

बता दें कि पिछले साल कैथल के सुल्तान झोटे की भी मौत हो गई थी। दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई थी। कैथल के बुढ़ाखेड़ा गांव के सुल्तान बुल ने कैथल का ही नहीं, बल्कि पूरे हरियाणा का नाम रोशन किया था।
उनके मालिक नरेश का कहना था कि सुल्तान जैसा ना कोई था और शायद ना कोई होगा। उसकी मौत पर पूरा हरियामा गम में डूबा था।

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