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जब पूरी दुनिया कोरोना का तोड़ ढूंढने की कोशिश में लगी हुई है तो सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर फैविपिरावीर इस वायरस के खिलाफ कितनी कारगर है। चीन के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी डेवलपमेंट के मुबातिक यह एंफ्लुएंजा की दवा है जिसे जापान ने 2014 में क्लीनिकल प्रयोग के लिए मंजूरी दी थी।
अभी तक इबोला और एचआईवी दवाओं का हो रहा था इस्तेमाल
इस बात से तो अब सब अच्छे से वाकिफ है कि अभी कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए कोई प्रभावी उपचार नहीं है। हालांकि चीन समेत कई देशों ने एचआईवी के साथ ही इबोला वायरस रोगियों के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं का प्रयोग कोरोना की रोकथाम के लिए जरूर किया है लेकिन यह कितना कारगर है इसके बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है।
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ट्रीटमेंट के लिए जल्द होगा इस्तेमाल
वुहान विश्वविद्यालय के झोंगनान अस्पताल में की गई क्लीनिकल रिसर्च में मालूम हुआ कि फैविपिरावीर का प्रभाव नियंत्रित समूह की तुलना में ज्यादा बेहतर रहा। फिलहाल चिकित्सकों को फैविपिरावीर का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया गया है और कोविड-19 के उपचार में इसे जल्द ही शामिल किया जाना चाहिए।
द थर्ड पीपुल्स हॉस्पीटल में क्लीनिकल परीक्षण में 80 से अधिक मरीजों को शामिल किया गया था। जिसमें से 35 रोगियों को फैविपिरावीर की खुराक दी गई। जिसके परिणाम में पाया गया कि जिनको फैविपिरावीर दिया गया उनमें नियंत्रित समूह की तुलना में कम समय में वायरस जांच में नकारात्मक पाया गया।