जब कंटेस्टंट से अमिताभ बच्चन ने मांगा लिया 1 करोड़ रुपये में से अपना हिस्सा…
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, 13 नंबर को इसलिए अशुभ माना जाता है, क्योंकि एकबार ईसा मसीह ( Isha Masheeh ) के साथ एक ऐसे शख्स ने विश्वासघात किया था जो उन्ही के साथ रात्रिभोज कर रहा था। वह शख्स 13 नंबर की कुर्सी पर बैठा हुआ था। बस तभी से लोगों ने इस अंक को दुर्भाग्यपूर्ण समझ लिया और उसके बाद से इस नंबर से दूर भागने लगे। मनोविज्ञान ने 13 अंक के इस डर को ट्रिस्काइडेकाफोबिया या थर्टीन डिजिट फोबिया नाम दिया है। डर इस हद तक बढ़ गया कि इसकी वजह से लोगों ने 13 नंबर का इस्तेमाल करना ही बंद कर दिया।
अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन से भी 13 नंबर का गहरा संबंध रहा है। अगर आपको याद हो उनके प्रधानमंत्रित्व काल में उनकी सरकार पहली बार महज 13 दिन ही स्थिर रह सकी। इसके बाद फिर जब वाजपेयी के सामने दोबारा शपथ ग्रहण का मौका आया तो उन्होंने 13 तारीख को चुना। इसके बाद उनकी यह सरकार भी सिर्फ 13 महीने तक ही चली। पुन: वाजपेयी ने 13वीं लोकसभा के प्रधानमंत्री के रूप में, 13 दलों के सहयोग से 13 तारीख को ही शपथ ली, लेकिन फिर 13 को ही हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, कई लोग इसे महज संयोग नहीं मानते।
13 नंबर का काफी डर पश्चिमी देशों में देखने को मिलेगा। वहां के लोगों में तो 13 नंबर को लेकर डर का माहौल नजर आएगा। भारत दश में भी 13 नंबर को लेकर लोग काफी डरते हैं। वहीं चंडीगढ़ देश का सबसे सुनियोजित शहर माना जाता है। ये पंडित जवाहरलाल नेहरू के सपनों का शहर हुआ करता था, लेकिन आप ये नहीं जानते होंगे कि इस सुनियोजित शहर में सेक्टर 13 नहीं है। दरअसल, इस शहर का नक्शा बनाने वाले आर्किटेक्ट ने 13 नंबर का सेक्टर ही नहीं बनाया। वह 13 नंबर को अशुभ मानता था। उस आर्किटेक्ट को इस शहर को डिजाइन करने के लिए विदेश से बुलवाया गया था।