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बिजनेस में मुनाफा कमाना है तो आजमाएं ये टिप्स, खर्चा भी बचेगा

यदि कॉमन लैंग्वेज में समझा जाए तो को-मार्केटिंग वह आइडिया है जिसमें दो या दो अधिक कंपनियां एक दूसरे के कंटेंट या प्रोडक्ट की जानकारी को अपने प्लेटफॉर्म पर शेयर करती हैं।

Jan 02, 2021 / 07:45 pm

सुनील शर्मा

वर्तमान में यूरोप और अमरीका में स्टार्टअप या डिजिटल स्पेस वाली कंपनियों के बीच जो मार्केटिंग कॉन्सेप्ट ट्रेंड में है, वह है को-मार्केटिंग। बीते दो वर्ष के दौरान यह मार्केटिंग कॉन्सेप्ट अमरीका में अधिक लोकप्रिय हुआ है। कम बजट का यूज होना ही इस कॉन्सेप्ट का प्रमुख कारण है। इंडिया में स्टार्टअप करीब 18 फीसदी मार्केटिंग बजट रखते हैं। सभी के सामने लेटेस्ट मार्केटिंग ट्रेंड को पहचानने की और उसे अपनाने की चुनौती है। देश में फिलहाल को-मार्केटिंग कॉन्सेप्ट का इस्तेमाल केवल दो फीसदी स्टार्टअप ही कर रहे हैं। को-मार्केटिंग क्या है और इसका उपयोग कैसे किया जाता है इसी को विशेषज्ञों की राय के जरिए यहां समझाने का प्रयास किया गया है।
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क्या है को-मार्केटिंग
यदि कॉमन लैंग्वेज में समझा जाए तो को-मार्केटिंग वह आइडिया है जिसमें दो या दो अधिक कंपनियां एक दूसरे के कंटेंट या प्रोडक्ट की जानकारी को अपने प्लेटफॉर्म पर शेयर करती हैं। ऐसे प्रमोशन के जरिए जो रिजल्ट आते हंै उन्हें पार्टनरशिप करने वाली कंपनियां आपस में शेयर कर लेती हैं। इसमें रेवेन्यू से लेकर कस्टमर डेटा या अन्य प्रकार के रेस्पॉन्स सम्मिलित होते हैं। मार्केटिंग एक्सपर्ट के अनुसार अधिकतर को-मार्केटिंग एग्रीमेंट में रेवेन्यू शेयर को बहुत कम शामिल किया जाता है। इसमें प्रमुख रूप से डेटा शेयरिंग, अवेयरनेस और कंटेंट को लेकर अधिक ध्यान दिया जाता है। को-मार्केटिंग कॉन्सेप्ट का सबसे अधिक उपयोग स्टार्टअप कर रहे हैं।
कैसे करें पार्टनर का सलेक्शन
सामान्य रूप से को-मार्केटिंग की प्लानिंग करते समय स्टार्टअप समान सेक्टर में काम करने वाली कंपनियों का सलेक्शन करते हैं लेकिन एक जर्मन बिजनेस स्कूल के सर्वे के अनुसार को-मार्केटिंग में पार्टनर के सलेक्शन में यदि विविधताओं को प्राथमिकता दी जाए तो यह कॉन्सेप्ट ज्यादा फायदेमंद होगा। जैसे कि समान सेक्टर वाले पार्टनर के स्थान पर स्टार्टअप को उन कंपनियों को भी प्रमुखता देनी चाहिए, जिनके कस्टमर आपके प्रोडक्ट या सर्विस के साथ अप्रत्यक्ष तौर पर भी सबंध रखते हो।
एग्रीमेंट में क्या करें शामिल
जब भी आप किसी अन्य कंपनी के साथ इस कॉन्सेप्ट पर काम करें तो आपको एक लिखित एग्रीमेंट करने की जरूरत है। इसमें को-मार्केटिंग का समय, क्या शेयर करना है, उसकी जानकारी, ट्रेनिंग आदि बातों की विस्तृत जानकारी होनी चाहिए। वहीं यदि आप जॉइंट इवेंट या कॉन्फ्रेंस भी प्लान कर रहे हैं तो उनका भी उल्लेख होना चाहिए। इसके अलावा आप या आपकी पार्टनर कंपनी एग्रीमेंट समय में कोई अन्य प्रोडक्ट या सर्विस लाने जा रहे हैं तो क्या वह भी इसी एग्रीमेंट में सम्मिलित होगा या नहीं सहित विभिन्न पहलुओं का ध्यान रखें।
कंटेंट पर ध्यान देने की जरूरत
जो भी मार्केटिंग कंटेंट शेयर होगा, उसका गुणवत्तापूर्ण होना जरूरी है क्योंकि कंटेंट ऐसा नहीं होना चाहिए, जिससे कि आपकी या पार्टनर कंपनी का टारगेट कस्टमर प्रभावित हो। यदि आप पार्टनर कंपनी की मार्केटिंग टीम के साथ बैठकर ही इस सबंध में प्लानिंग करें तो यह बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। ओरिजनल कंटेंट का ही प्रयोग करें साथ ही जो कंटेंट आप स्वयं के प्लेटफॉर्म पर पहले यूज कर चुके हैं उसे इस कॉन्सेप्ट में इस्तेमाल ना करें।

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