नई दिल्ली। तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास (superstition) के चलते दिल्ली के बुराड़ी में जो मौत का खेल खेला गया था, उसका खौफ आज भी लोगों के दिलों में बरकरार है। तभी लोग उस इलाके में जाने की हिम्मत नहीं कर पाते हैं। एक ही परिवार के 11 लोगों की हुई मौत के बाद से घर खाली पड़ा था। कोई भी यहां रहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। इसी के चलते किरायेदार भी नहीं मिल रहे थे। मगर डेढ़ साल के इंतजार के बाद आखिरकार ‘बुराड़ी के घर’ (burari case) को किरायेदार(tenant) मिल ही गए है। यहां रहने आए लोगों का कहना है कि वे अंधविश्वास पर यकीन नहीं रखते हैं।
बर्थडे स्पेशल : एक कमरे और दो सहयोगियों से धीरूभाई अंबानी ने शुरू किया था बिजनेस, ऐसे खड़ी की करोड़ों की कंपनी मालूम हो कि साल 2018 में बुराड़ी के एक घर में एक ही परिवार के 11 लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। पूरे परिवार ने किसी आत्मा, अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र (tantra mantra) के चक्कर में ये खौफनाक कदम उठाया था। इस घटना के बाद से ही यह घर ‘मनहूस’ हो गया था। बुराड़ी के संत कबीर नगर के जिस घर में एक परिवार के सभी लोगों ने आत्महत्या की थी उसे भूतहा माना जाने लगा।
पड़ोसियों और आस-पाक के इलाके के लोगों का कहना है कि अंधेरे में घर से भूत निकलते हैं। ये वहीं आत्माएं हैं जो अतृप्त हैं। हालांकि इस मनहूस घर में रहने आए किराएदार इस बात पर यकीन नहीं रखते हैं। इसे डॉ मोहन कश्यप नाम के शख्स किराए पर लिया है। वह एक पैथलॉजिस्ट हैं। डॉ मोहन कश्यप का कहना है कि उन्हें या उनके परिवार वालों को अंधविश्वास पर यकीन नहीं है। वहीं बुराड़ी के रिश्तेदारों के मुताबिक घर के बारे में पड़ोसी जान बूझकर अफवाह फैलाते हैं।
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