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क्यों महत्वपूर्ण है निर्जला एकादशी, शास्त्रों के अनुसार इस दिन व्रत करने वाले को मिलता है ये फल

भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है निर्जला एकादशी व्रत
भीम पहले एक मात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने यह व्रत रखा था
साल की सारी एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त हो जाता है इस दिन

Jun 13, 2019 / 10:23 am

Priya Singh

according to scriptures know why nirjala ekadashi vrat is important

जानें शास्त्रों के अनुसार क्या है निर्जला एकादशी का महत्त्व, इस दिन व्रत करने वाले को मिलता है ये फल

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। शास्त्रों के अनुसार, भीम पहले एक मात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने यह व्रत रखा था और मूर्छित हो गए थे। इसी वजह से एकादशी व्रत को भीमसेन एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन बिना जल के उपवास रहने से साल भर की सारी एकादशियों का फल प्राप्त हो जाता है। इसके अलावा इससे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष, चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति भी होती है।

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इस दिन व्रत रखने से 24 एकादशियों का मिलता है फल

शास्त्रों के अनुसार, एक बार भीम ने व्यास जी के मुख से बिना भोजन किए एकदशी को रखने का नियम सुना। उन्होंने कहा महाराज! मुझे बहुत भूख लगती है मैं बिना खाए नहीं रह सकता। उन्होंने व्यास जी से निवेदन किया कि वे उन्हें कुछ ऐसा उपाय बताएं जिसमें वे एक व्रत करें और उन्हें सालभर की 24 एकादशी का पुण्य मिल जाए। जब व्यास जी ने भीमसेन से कहा- ‘अगर तुमसे सालभर के 24 एकादशी व्रत न हो पाये तो तुम केवल एक निर्जला व्रत कर लो, इससे सालभर की एकदशी करने का फल तुम्हें एक बार में ही मिल जाएगा।’ इसके बाद भीम ने ऐसा ही किया और उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई।

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इस दिन की जाती है भगवान विष्णु की आराधना

शास्त्रों के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से अच्छे स्वास्थ और सुखद जीवन की मनोकामना पूरी होती है। इस बार एकादशी 13 जून को है। एक साल में कुल 24 एकादशियां होती हैं। लेकिन जब अधिकमास या मलमास आता है तब इसकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। इस व्रत मे पानी पीना वर्जित है इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। निर्जला एकादशी पर निर्जल रखकर भगवान विष्णु की आराधना की जाती है और दीर्घायु और मोक्ष का वरदान प्राप्त किया जा सकता है।

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