यह नाम आपने शायद ही पहले कभी सुना होगा। दिलरास बानो बेगम मुग़ल के आख़िरी शहंशाह औरंगज़ेब की पहली बीवी थीं। इन्हें अपने मरणोपरांत ख़िताब राबिया उद्दौरानी के नाम से भी पहचानी जाती है। इनका का जन्म 1662 में हुआ, वो मिर्ज़ा बदीउद्दीन सफ़वी और नौरस बानो बेगम की बेटी थीं, इसके परिणामस्वरूप वे सफ़वी राजवंश की शहज़ादी थीं। 1637 में उनके विवाह शहज़ादे औरंगज़ेब से करवाया गया था। कहा जाता है कि इनकी पहले ही 5 संताने थी और साल 1657 में संभवतः जच्चा संक्रमण की वजह से उनकी मौत हो गई।
माना जाता है कि जहांआरा बेगम सम्राट शाहजहां और महारानी मुमताज महल की सबसे बड़ी बेटी थी। वह अपने पिता की उत्तराधिकारी और छठे मुगल सम्राट औरंगज़ेब की बड़ी बहन भी थी। आपको जानकर य़ह हैरानी होगी कि इन्होंने ही दिल्ली में चांदनी चौक की रूपरेखा बनाई थी। 1631 में मुमताज़ महल की असामयिक मृत्यु के बाद, 17 वर्षीय जहांआरा ने अपनी मां को मुग़ल साम्राज्य की फर्स्ट लेडी घोषित करवा दिया, इस तथ्य के बावजूद कि उनके पिता की तीन पत्नियां थीं। वह शाहजहां की पसंदीदा बेटी थी और उसने अपने पिता के शासनकाल में प्रमुख राजनीतिक प्रभाव को समाप्त कर दिया था। जिसके बाद उन्हें साम्राज्य की सबसे शक्तिशाली महिला के रूप में आज भी माना जाता है।
इस नाम से तो आप वाकिफ ही होंगे। या कहीं ना कहीं तो आपने य़ह नाम सुना ही होगा। 1611 ई में जहांगीर से शादी करने के बाद उन्हें 1613 में बादशाह बेगम बनाया गया। कहा जाता है कि वह बेहद खूबसूरत होने के साथ साथ बुद्धिमान भी थी। साथ ही वह शास्त्र कला में भी निपुण थी। कहा जाता है कि 1619 ई. में उसने एक ही गोली से शेर को मार गिराया था। इसके फलस्वरूप जहांगीर के शासन का समस्त भार उसी पर आ पड़ा था। इसके बाद उनके शासन मे बहुत ही विद्रोह रहा। जहांगीर के जीवन काल में नूरजहां सर्वशक्ति सम्पन्न रही, लेकिन 1627 ई. में जहांगीर की मृत्यु के उपरांत उसकी राजनीतिक प्रभुता नष्ट हो गई। इसके बाद नूरजहां की मृत्यु 1645 ई. में हुई।