भगवान विष्णु की पत्नि है माता लक्ष्मी
हिन्दू धर्म में लक्ष्मी माता को विष्णु जी का पत्नी माना जाता है। इसके साथ ही उनकी पहचान धन की देवी के रूप में भी किया जाता है। लक्ष्मी माता को हर्षो उल्लास और विनोद की देवी माना जाता है। कहते हैं कि यदि इस व्रत को विधि पूर्वक श्रद्धा भाव से रखा जाय तो इससे लक्ष्मी माता का आशीर्वाद आपके जीवन पर बना रह सकता है। माना जाता है कि जीवन में धन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए यदि महालक्ष्मी व्रत रखा जाए तो इससे आपको काफी लाभ मिल सकता है।
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महालक्ष्मी व्रत वास्तव में धन की समस्याओं से निजात पाने के लिए रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से विशेष रूप से धन से जुड़ी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को विधि विधान के साथ पूरे सोलह दिनों तक रखने का विधान है। हालाँकि यदि आप इस व्रत को 16 दिन के लिए नहीं रख सकते तो कम से कम महालक्ष्मी व्रत के दौरान किसी भी तीन दिन व्रत जरूर रखें। ऐसी मान्यता है कि महालक्ष्मी व्रत रखने से भगवान विष्णु की भी कृपा मिलती है। यदि आप सिर्फ तीन दिनों का व्रत रखते हैं तो आपको मुख्य रूप से पहले दिन, आठवें दिन और आखिरी दिन यानि की सोलहवें दिन व्रत रखना चाहिए।
महालक्ष्मी व्रत के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।
– इस व्रत के दौरान केवल सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
– एक कलश में पानी भरकर उसमें पान और नारियल रखकर उसे पूजा स्थल पर रखें।
– इस व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना भी ख़ासा महत्वपूर्ण माना जाता है।
– महालक्ष्मी व्रत के दौरान लक्ष्मी माता की पूजा के लिए कमल के फूलों का प्रयोग जरूर करें।
– पूजन में फल फूल के साथ ही सोने चांदी के सिक्के भी रखें।
– इस व्रत के दौरान लक्ष्मी माता के विभिन्न रूपों की पूजा अर्चना की जानी चाहिए।
– बहरहाल महालक्ष्मी व्रत रखे जाने के विशेष महत्व के बारे में अब आप जान चुके होंगें। इस दौरान व्रत रखकर आप भी अपनी धन से जुड़ी समस्याओं से निजात पा सकते हैं।
भगवान और मनुष्यों के बीच अद्वितीय संबंध का प्रतीक यह दिन पंडित दुबे के अनुसार आज का दिन भगवान और मनुष्यों के बीच अद्वितीय संबंध का प्रतीक माना गया है। साथ ही आज के दिन राधा रानी का जन्म अनुराधा नक्षत्र में हुआ था।
जब-जब श्रीकृष्ण का नाम लिया गया है, ऐसा कभी हुआ नहीं कि राधा जी का नाम ना लिया गया हो। श्रीकृष्ण को आम भक्त राधे-कृष्ण कहकर ही पुकारते हैं। क्योंकि यह दो शब्द, यह दो नाम एक-दूसरे के लिए ही बने हैं और इन्हें कोई अलग नहीं कर सकता है कौन हैं राधा जी भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बरसाने में राधा जी का जन्म हुआ था।
– राधा जी का जन्म कृष्ण के साथ सृष्टि में प्रेम भाव मजबूत करने के लिए हुआ था|
– कुछ लोग मानते हैं कि राधा एक भाव है, जो कृष्ण के मार्ग पर चलने से प्राप्त होता है|
हर वह व्यक्ति जो कृष्ण के प्रेम में लीन होता है, राधा कहलाता है|
– वैष्णव तंत्र में राधा और कृष्ण का मिलन ही व्यक्ति का अंतिम उद्देश्य होता है|
राधा अष्टमी के नाम से इस व्रत को जाना जाता है| इस व्रत को करने से धन की कमी नहीं होती और घर में बरकत बनी रहती है| इस व्रत को करने से भाद्रपक्ष की अष्टमी के व्रत से ही महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत भी होती है।