जानकारी के मुताबिक, सोमवार को चंपावत-टनकपुर हाईवे (Champawat-Tanakpur National Highway) पर अचानक एक पहाड़ का बड़ा हिस्सा दरक गया। पहाड के दरकने की वजह से बड़े-बड़े बोल्डर और मलबा नेशनल हाईवे पर गिर गया, जिससे रास्ता पूरी तरह जाम हो गया। पास से गुजर रहे यात्रियों में खौफ का माहौल दिखा। लोग जान बचाकर इधर-उधर भागने लगे।
हिमाचल में भूस्खलन से बड़ा हादसा: अब तक 10 की मौत, 25 से अधिक लोगों के फंसे होने की आशंका
जानकारी के अनुसार चंपावत-टनकपुर हाईवे पर टिपनटॉप, चल्थी, अमरूबैंड, सूखीढांग, धौन और स्वाला के पास अभी भी पहाड़ों से पत्थर और मलबा गिरने का सिलसिला जारी है। हालांकि अभी तक किसी के भी हताहत होने की कोई खबर सामने नहीं आई है। बता दें कि बीते तीन दिनों से उत्तराखंड में बारिश हो रही है। बारिश के कारण पहाड़ाें से मलबा और पत्थर गिरने की घटनाएं देखी जा रही है।
मलबा हटाने का काम जारी
भूस्खलन की घटना के बाद राहत-बचाव का कार्य जारी है। बीआरओ की ओर से भूस्खलन क्षेत्र के 500 मीटर हिस्से में से करीब 250 मीटर तक मलबा हटा दिया गया है। इसके अलावा प्रभावित क्षेत्र में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के 18 जवान समीपवर्ती गांवों के ग्रामीणों की पैदल आवाजाही में मदद कर रहे हैं। इससे पहले 14 अगस्त को सुराईंथोटा और तमक गांव के बीच हुई भूस्खलन की घटना के बाद से मलारी हाईवे ठप पड़ा है। वहीं 11 केवी की बिजली लाइन भी ध्वस्त हो गई थी।
ट्रैफिक डायवर्ट
भूस्खलन की घटना के बाद चंपावत टनकपुर हाईवे बंद हो चुका है। ऐसे में परिवहन विभाग ने ट्रैफिक को डायवर्ट किया है। टनकपुर पुलिस ने चंपावत की ओर से आने वाले वाहनों को ककरालीगेट पर रोक दिया है। जबकि चंपावत से भी वाहनों को आगे नहीं जाने दिया जा रहा है।