जी हां, यह तीनों फिल्में अलग-अलग मायनों में अपनी क्षेत्र की सर्वश्रेष्ठ फिल्में रही हैं। फिल्म ‘संजू’ जहां एक ऐसी बायोपिक है जिसकी कहानी लोगों की रूह को लेती हैं तो वहीं फिल्म ‘गली गुलियां’ एक साइक्लोजिकल ट्रामा से गुजर रहे इंसान की कहानी है।
वहीं अगर बात ‘न्यूटन’ की करें तो ये फिल्म देश के उम्दा सिनेमा का सही उदाहरण पेश करती है। इस फिल्म में राजकुमार राव एक इमानदार ऑफीसर की भूमिका में हैं, जो एक ऐसे क्षेत्र में चुनाव कराने जाते हैं जहां स्थिति तनावपूर्ण होती है।
बताया जा रहा है हिंदी की इन फिल्मों का कॅाम्पिटीशन दक्षिण कोरिया की ‘1987 वेन द डे कम्स’, ताइवान की ‘द करप्ट एंड द ब्यूटीफुल’ चीन की ‘डाइंग टू सर्वाइव’ और ‘यूथ’ और जापान की शॉपलिफ्टर्स और मलेशिया की ‘तोंबिरू’ से होगा। साथ ही पुरस्कार के ज्यूरी सदस्यों में भारत से अनुपम खेर, शबाना आजमी और आस्ट्रेलियाई फिल्म आलोचक व निर्माता, प्रस्तोता मार्गरेट पोमेरेंज एएम भी शामिल हैं।