दस गुना ज्यादा ताकतवर! इस मशीन का नाम इसेल्ट (Iseult) है. ये अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाली MRI मशीनों से 10 गुना ज्यादा ताकतवर है. अस्पताल वाली MRI मशीनें 3 टेस्ला की ताकत से काम करती हैं, जबकि इसेल्ट 11.7 टेस्ला की ताकत से काम करती है. टेस्ला चुंबकीय शक्ति को मापने की इकाई है. इसका नाम वैज्ञानिक निकोला टेस्ला के नाम पर रखा गया है.
अल्जाइमर जैसी बीमारियों पर भी रिसर्च! Alzheimer’s disease and MRI
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस मशीन की मदद से अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी बीमारियों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी. साथ ही मानसिक बीमारियों जैसे डिप्रेशन और स्किजोफrenia पर भी रिसर्च की जा सकेगी.
आइए अब इस मशीन के बारे में थोड़ा और विस्तार से जानें मशीन कैसी दिखती है?
ये मशीन एक बड़े बेलनाकार (Cylinder) आकार की होती है, जो लगभग 5 मीटर लंबी और ऊंची होती है. इसके अंदर एक बहुत बड़ा चुंबक लगा होता है, जिसका वजन 132 टन होता है! ये चुंबक इतना ताकतवर होता है कि इसे चलाने के लिए 1500 एम्पियर की बिजली की जरूरत पड़ती है. इस बेलनाकार के बीच में एक ऐसा स्थान होता है जहां पर इंसान लेट सकता है. ये जगह लगभग 90 सेंटीमीटर चौड़ी होती है.
इस मशीन को बनाने में फ्रांस और जर्मनी के इंजीनियरों को लगभग 20 साल लग गए. अमेरिका और दक्षिण कोरिया भी इतनी ही ताकतवर MRI मशीन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इस ताकतवर मशीन का एक मुख्य लक्ष्य ये समझना है कि हमारा दिमाग कैसे काम करता है और दिमाग के कौन से हिस्से किन कामों के लिए जिम्मेदार होते हैं.