महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का अधिक खतरा क्यों? Why are women at greater risk of osteoporosis?
ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) के मामलों में महिलाओं में इस रोग के अधिक होने का प्रमुख कारण उनकी शारीरिक संरचना और हार्मोनल बदलाव हैं। शारीरिक संरचना: पुरुषों की तुलना में महिलाओं की हड्डियां अधिक पतली और छोटी होती हैं। हार्मोनल बदलाव: मेनोपॉज से पहले एस्ट्रोजन हार्मोन हड्डियों की रक्षा करता है, लेकिन मेनोपॉज के बाद इसकी मात्रा घटने लगती है, जिससे हड्डियों की कमजोरी बढ़ने लगती है।
जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं Lifestyle problems
जीवनशैली भी ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती है।
गतिहीन जीवनशैली: शरीर की गतिविधियों में कमी और एक्सरसाइज न करने से हड्डियों की मजबूती कम होती है।
धूम्रपान और शराब का सेवन: अत्यधिक शराब पीने और धूम्रपान से शरीर में हड्डियों को आवश्यक पोषण नहीं मिल पाता, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।
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बचाव के उपाय
ऑस्टियोपोरोसिस से बचने के लिए कुछ साधारण लेकिन महत्वपूर्ण उपाय अपनाए जा सकते हैं। संतुलित आहार: कैल्शियम और विटामिन डी युक्त भोजन जैसे दूध, अंडे, मछली और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। सप्लीमेंट्स का सेवन: प्रतिदिन 1,000-1,200 मिलीग्राम कैल्शियम और 600-800 आईयू विटामिन डी लेना आवश्यक है। शारीरिक गतिविधि: नियमित एक्सरसाइज और योग करने से हड्डियों की ताकत बढ़ती है। धूम्रपान और शराब से दूरी: धूम्रपान और शराब का सेवन हड्डियों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, इसलिए इसे कम से कम करना चाहिए।
कुछ बीमारियां भी बढ़ाती हैं ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा Some diseases also increase the risk of osteoporosis
रुमेटीइड गठिया, हाइपरथायरायडिज्म और जठरांत्र संबंधी विकार जैसी बीमारियां भी हड्डियों को कमजोर कर सकती हैं। ऐसे में यदि किसी को इन बीमारियों का सामना करना पड़ रहा हो तो उन्हें नियमित चिकित्सकीय जांच करवानी चाहिए।
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ऑस्टियोपोरोसिस की पहचान समय पर हो जाने से इसका इलाज संभव है। नियमित स्क्रीनिंग और समय पर इलाज से हड्डियों को होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है। डॉक्टर से परामर्श लेकर आवश्यक दवाओं और सप्लीमेंट्स का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा जीवनशैली में बदलाव कर इस बीमारी को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।
ऑस्टियोपोरोसिस एक गंभीर समस्या है, लेकिन सही जीवनशैली, संतुलित आहार, और नियमित चिकित्सा जांच से इससे बचा जा सकता है। विशेषकर महिलाओं को, जिनमें इस बीमारी का खतरा अधिक होता है, अपने हड्डियों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी है।