यह निमोनिया का ही एक गंभीर रूप है जिसमें फेफड़ों में जख्म हो जाते हैं। यह बीमारी खांसने, छींकने, बात करने, रोगी के पास गाना गाने से भी फैलती है। शुरुआती लक्षण कोरोना के जैसे सामने आ रहे हैं। यह बीमारी 3-8 वर्ष के बीच के बच्चों में हो रही है।
लक्षण
सबसे आम लक्षण खांसी, बुखार, बदन दर्द, थकान हैं। बच्चे की सांस नली में सूजन की तकलीफ और कफ का भी अनुभव हो सकता है। इसमें एक विशेष प्रकार का बलगम बन रहा है जो फेफड़ों और गले में होता है।
संभावित कारण नेचर क्लाइमेट चेंज जर्नल के अनुसार कारकों में रोगाणु, प्रोटोजोआ, फंगस, बैक्टीरिया, वायरस या सिलिकोसिस हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि नई जाति के माइकोप्लाज्मा न्यूमोनी नामक ओर्गेनीजम से होता है जो संभवत: ज्यादा आक्रामक और एंटीबॉयोटिक रेजिस्टेंट होता है। इसका बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन, खानपान में बदलाव व प्रदूषण भी है। चीन के बाद यह बीमारी अब अमरीका के ओहियो, डेनमार्क और नीदरलैंड्स में भी फैल रही है।
गाइडलाइन जरूरी टीकाकरण करवाएं। बीमार व्यक्ति से दूर रहें। रोग होने पर आइसोलेट हो जाएं। समय पर जरूरी टेस्ट कराएं। क्यों यह नाम है इसमें पूरे फेफड़ों पर सफेद धब्बे हो जाते हैं। इससे प्रभावित बच्चों में खांसी, बुखार और थकान जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। विशेषज्ञों कहा है कि बच्चों को इसके प्रकोप से बचाने के लिए संतुलित आहार, शारीरिक गतिविधि, पर्याप्त नींद लेने दें।
बचाव कैसे करें नियमित रूप से हाथ धोएं, छींकने या खांसने के दौरान मुंह ढकने और बीमार होने पर घर पर रहकर भीड़-भाड़ से बचें। छुट्टियों के मौसम के आसपास होने वाली सभाओं में संक्रमित होने से बचने के लिए सावधानी बरतना महत्वपूर्ण है।
बच्चों में ही क्यों? बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होती है, इसलिए ये बीमारी बच्चों को अपनी चपेट में ले रही है। लेकिन इसका मतलब ये भी कतई नहीं कि सिर्फ बच्चों पर ही इसका अटैक होगा, जिसकी भी इम्युनिटी कमजोर है, वो इस बीमारी के चपेट में आ सकता है।
– डॉ. रमेश जोशी, सीनियर फिजिशियन