फास्टिंग ब्लड शुगर और रैंडम ब्लड शुगर में अंतर : Difference between fasting blood sugar and random blood sugar
फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट रात भर कम से कम आठ घंटे के उपवास के बाद, फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट आपके शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को मापता है। तुम (पानी के सिवा) कुछ भी नहीं खाते या पीते। रक्त का एक छोटा सा नमूना सुबह खाली पेट लेकर परीक्षण किया जाता है। फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट इन परिस्थितियों में करवाएं - नियमित रूप से मधुमेह की जांच के लिए (विशेषकर यदि आप डायबिटीज के खतरे में हैं)।
- गर्भावस्था के दौरान (गर्भकालीन मधुमेह की जांच के लिए)।
- उपचार के दौरान ब्लड शुगर की निगरानी के लिए।
- डायबिटीज के शुरुआती लक्षण दिखने पर, जैसे कि बार-बार पेशाब आना, अत्यधिक प्यास लगना, वजन घटना आदि।
क्या होता है फास्टिंग ब्लड शुगर का रिजल्ट फास्टिंग ब्लड शुगर की सामान्य रेंज 100 मिलीग्राम/डेसीलीटर (mg/dL) से कम होती है और यदि यदि रक्त शर्करा का स्तर 100-125 mg/dL के बीच है तो इसे प्री-डायबिटीज माना जा सकता है। जब रक्त शर्करा का स्तर लगातार 126 mg/dL या उससे अधिक रहता है ये मधुमेह के संकेत माने जाते हैं।
रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट यह परीक्षण सामान्यतः तब किया जाता है जब मधुमेह के लक्षण प्रकट होते हैं या किसी आपातकालीन स्थिति में त्वरित रूप से रक्त शर्करा के स्तर की जांच की आवश्यकता होती है। रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट आपके रक्त में शर्करा के स्तर को दिन के किसी भी समय मापता है, चाहे आपने भोजन किया हो या नहीं।
कब करवाना चाहिए रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट जैसे कि बार-बार पेशाब आना, अत्यधिक प्यास लगना, थकान आदि या रक्त शर्करा के स्तर में अचानक परिवर्तन का संदेह होने पर किया जाता है।
शरीर में नॉर्मल ब्लड शुगर की मात्रा 90 से 100 mg/dL के बीच होती है लेकिन जब आप कुछ खा चुके होते हैं या चेक करने के दो घंटे पहले भोजन कर चुके होते हैं तो इसका स्तर बढ़कर 140 mg/dl हो सकता है। ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने पर शरीर में डायबिटीज की समस्या हो जाती है। लेकिन हर व्यक्ति में उम्र और स्वास्थ्य से जुड़ी स्थिति के कारण ब्लड शुगर का स्तर घट या बढ़ सकता है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।