नींद की कमी और हृदय रोगों का संबंध The connection between lack of sleep and heart disease
अध्ययन बताते हैं कि जो लोग रोजाना 7 घंटे से कम सोते हैं, उनमें हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। नींद की कमी (Lack of sleep) से शरीर में तनाव हार्मोन, कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है, जिससे रक्तचाप और शुगर का स्तर भी प्रभावित होता है। इन कारकों का हृदय (Heart) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ सकता है।पर्याप्त नींद : हृदय स्वास्थ्य का आधार Adequate sleep: the basis for heart health
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि हर दिन 7-8 घंटे की नींद लेना हृदय (Heart) को स्वस्थ रखने में मदद करता है। पर्याप्त नींद से न केवल रक्तचाप और शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है, बल्कि शरीर में तनाव भी कम होता है। यह हृदय की कार्यक्षमता को बेहतर बनाता है और दिल के दौरे के खतरे को कम करता है।शोध से मिले परिणाम
बीजिंग के फूवाई हॉस्पिटल में यानजुन सॉन्ग और उनकी टीम ने यूके के 90,900 लोगों के नींद के आंकड़ों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि जिन लोगों ने हर रात औसतन 7-8 घंटे की नींद ली, उनमें हृदय रोग (Heart disease) विकसित होने की संभावना 19% तक कम थी। वहीं, जो लोग 7 घंटे से कम सोते थे, उनमें हृदय रोगों का जोखिम अधिक पाया गया।हार्ट अटैक से बचने के लिए विशेषज्ञों की सलाह Experts’ advice to prevent heart attack
विशेषज्ञों का मानना है कि हर रात 7 से 9 घंटे तक की नींद लेने से हम न केवल खुद को तरोताजा महसूस करते हैं, बल्कि हृदय को भी स्वस्थ बनाए रखते हैं। यह नींद हृदय की धड़कनों को सामान्य रखने में सहायक है और हार्ट अटैक (Heart Attack) के खतरे को 20% तक कम कर सकती है।निष्कर्ष: स्वस्थ जीवन के लिए नींद को प्राथमिकता दें
स्वस्थ हृदय के लिए जीवनशैली में बदलाव जरूरी है, जिसमें पर्याप्त नींद लेना सबसे महत्वपूर्ण है। अगर हम रोजाना 7-8 घंटे की नींद लेते हैं, तो हृदय रोगों के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसलिए, स्वस्थ और लंबी उम्र के लिए नींद को अपनी प्राथमिकता में शामिल करें और हार्ट अटैक (Heart Attack) के खतरे से बचें। नींद से समझौता नहीं, स्वस्थ हृदय के लिए ये है सबसे सरल उपाय।