जानिए क्या होता है सेंट्रल फैट-know what is central fat बता दें कि कमर के चारों ओर वसा का उच्च निर्माण होता है और इसे सेंट्रल फैट के नाम से जाना जाता है। और फैट का अधिक होना टाइप 2 मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ने का सबसे बड़ा कारण होता है।
रिसर्च में दावा किया गया है कि केवल बीएमआई के बजाय कमर से ऊंचाई के अनुपात को मापना अधिक सही होता है, क्योंकि बीएमआई पेट के आसपास के अतिरिक्त वजन को ध्यान में नहीं रखता है।
रिसर्च में दावा किया गया है कि केवल बीएमआई के बजाय कमर से ऊंचाई के अनुपात को मापना अधिक सही होता है, क्योंकि बीएमआई पेट के आसपास के अतिरिक्त वजन को ध्यान में नहीं रखता है।
जानिए कैसे लें अपनी कमर का माप- know how to measure your waist
यदि आप 5 फीट 9 इंच लंबे हैं, तो आपकी कमर का माप 87.5 सेमी (34 इंच) से कम या आपकी आधी ऊंचाई से कम होनी चाहिए। नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस (एनआईसीई) के अनुसार कमर का माप ही बीमारियों से बचाता है।
रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि सबसे पहले वसा पेट और कमर पर ही चढ़ती है और सबसे अंत में यहां से जाती है। डायबिटीज, हार्ट, कोलेस्ट्रॉल जैसी गंभीर बीमारियों की वजह सेंट्रेल फैट यानी कमर की चर्बी होती है। इसे लिए कमर को मापने के लिए पसलियों के नीचे और कूल्हों के ऊपर की वसा को चेक करना चहाए। इन बिंदुओं के बीच कमर के चारों ओर एक टेप माप लपेटना चाहिए और माप लेने से पहले स्वाभाविक रूप से सांस लेना चाहिए।
यदि आप 5 फीट 9 इंच लंबे हैं, तो आपकी कमर का माप 87.5 सेमी (34 इंच) से कम या आपकी आधी ऊंचाई से कम होनी चाहिए। नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस (एनआईसीई) के अनुसार कमर का माप ही बीमारियों से बचाता है।
रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि सबसे पहले वसा पेट और कमर पर ही चढ़ती है और सबसे अंत में यहां से जाती है। डायबिटीज, हार्ट, कोलेस्ट्रॉल जैसी गंभीर बीमारियों की वजह सेंट्रेल फैट यानी कमर की चर्बी होती है। इसे लिए कमर को मापने के लिए पसलियों के नीचे और कूल्हों के ऊपर की वसा को चेक करना चहाए। इन बिंदुओं के बीच कमर के चारों ओर एक टेप माप लपेटना चाहिए और माप लेने से पहले स्वाभाविक रूप से सांस लेना चाहिए।
पांच से 60 साल तक ऐसे ही लेना चाहिए कमर का साइज- waist size should be taken five to 60 years हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का माननाहै कि ये स्टडी सही है, लेकिन बूढ़े लोगों में इसका सटीक असर नहीं होगा, क्योंकि 60 से अधिक उम्र के लोगों की हाइइ उम्र बढ़ने के साथ कम होती जाती है।
पेट में चर्बी बढ़ने से व्यक्ति में टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग सहित कई जीवन-सीमित बीमारियों के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए पांच साल से लेकर 60 साल तक की उम्र तक अपनी कमर का साइज अपनी हाइट से भी आधे से कम रखना होगा।
पेट में चर्बी बढ़ने से व्यक्ति में टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग सहित कई जीवन-सीमित बीमारियों के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए पांच साल से लेकर 60 साल तक की उम्र तक अपनी कमर का साइज अपनी हाइट से भी आधे से कम रखना होगा।
डिस्क्लेमर- आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए दिए गए हैं और इसे आजमाने से पहले किसी पेशेवर चिकित्सक सलाह जरूर लें। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने, एक्सरसाइज करने या डाइट में बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।