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मोबाइल देखकर खाना खाने से बच्चे को हो सकती है Virtual Autism, जानें कैसे बचाएं

Virtual Autism : आजकल युवाओं को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी मोबाइल की लत लग गई है। बहुत हद तक इसके जिम्मेदार माता-पिता ही हैं। जब भी बच्चा रोता है या खाना (child eats food while watching mobile in india) नहीं खाता तो उसे चुप कराने के लिए माता-पिता उनके हाथ में पकड़ा देते हैं।

Oct 29, 2023 / 09:28 pm

Manoj Kumar

risk of virtual autism in children

risk of virtual autism in children

आजकल युवाओं को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी मोबाइल की लत लग गई है। बहुत हद तक इसके जिम्मेदार माता-पिता ही हैं। जब भी बच्चा रोता है या खाना नहीं खाता तो उसे चुप कराने (risk of virtual autism in children) के लिए माता-पिता उनके हाथ में पकड़ा देते हैं। लेकिन कई रिसर्च में इस बात का खुलासा हो चुका है कि मोबाइल की लत बच्चों के दिमाग पर गलत असर डालता है। कई रिसर्च में सामने आया है कि कम उम्र में बच्चों को फोन थमाने से उनका मानसिक विकास यानी मेंटल डेवलेपमेंट प्रभावित होता है। इससे बच्चों में वर्चुअल ऑटिज्म (risk of virtual autism in children) का खतरा बढ़ रहा है। जानते हैं कि आखिर क्या है वर्चुअल ऑटिज्म और इससे बच्चों को कैसे बचाएं।
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क्या है वर्चुअल ऑटिज्म what is virtual autism
स्मार्टफोन, टीवी या इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर ज्यादा समय बिताने से बच्चों में कई लक्षण दिखाई देते हैं। वर्चुअल ऑटिज्म का ज्यादा असर अक्सर 4-5 साल के बच्चों में देखने को मिलता है। मोबाइल फोन, टीवी और कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की लत की वजह से ऐसा होता है। स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों में बोलने और समाज में दूसरों से बातचीत करने में दिकक्त होने लगती है। हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, इस कंडीशन को ही वर्चुअल ऑटिज्म कहा जाता है।
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वर्चुअल ऑटिज्म के लक्षण symptoms of virtual autism

बच्चों में वर्चुअल ऑटिज्म के लक्षणों की बात करें तो निम्म लक्षण दिखाई देते हैं।
– हर थोड़ी देर में चिड़चिड़ाना
– रिस्पॉन्स न करना
– 2 साल के बाद भी बोल न पाना
– फैमिली मेंबर्स को न पहचानना
– नाम पुकारने पर
– अनसुना करना
– फैमिली मेंबर्स को न पहचानना
– किसी से नजरेन मिलाना
– एक ही एक्टिविटी को दोहराना
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वर्चुअल ऑटिज्म से ऐसे बचाएं बच्चों को virtual autism treatment
पैरेंट्स को बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूर रखना चाहिए। गैजेट्स का जीरो एक्सपोजर बच्चों में रखना चाहिए। मतलब उन्हें पूरी तरह इससे दूर रखना चाहिए। अक्सर जब बच्चा छोटा होता है तो पैरेंट्स उन्हें पास बिठाकर मोबाइल फोन दिखाते हैं। बाद में बच्चों को इसकी लत लग जाती है। पैरेंट्स को सबसे पहले तो अपने बच्चों को इलेक्ट्रॉनिग गैजेट्स से दूर रखना है। उनका स्क्रीन टाइम जीरो करने पर जोर देना चाहिए। उनका फोकस बाकी चीजों पर लगाएं। स्लीप पैटर्न भी दुरुस्त करें। बच्चों को आउटडोर एक्टिविटीज के लिए प्रोत्साहित करें।

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