यह शोध अमेरिकन सोसायटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी की पत्रिका “माइक्रोबायोलॉजी स्पेक्ट्रम” में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने पाया कि टमाटर का रस सैल्मोनेला टाइफी को खत्म कर सकता है। यह बैक्टीरिया खासतौर पर इंसानों को ही नुकसान पहुंचाता है और टाइफाइड बुखार पैदा करता है।
शोध के प्रमुख लेखक डॉ. जियोंगमिन सॉन्ग ने बताया, “हमारा मुख्य लक्ष्य टमाटर और टमाटर के रस के रोगाणु नाशक गुणों को आंतों के रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया, खासतौर पर सैल्मोनेला टाइफी के खिलाफ जांचना था। साथ ही, हम यह भी जानना चाहते थे कि ये गुण किन खास चीजों की वजह से मौजूद हैं।”
शुरुआती प्रयोगों में पाया गया कि टमाटर का रस सचमुच ही सैल्मोनेला टाइफी को खत्म कर सकता है। इसके बाद, शोधकर्ताओं ने टमाटर के जीनोम का अध्ययन किया और पाया कि इसमें रोगाणु नाशक पेप्टाइड्स मौजूद हैं। ये छोटे प्रोटीन बैक्टीरिया की सुरक्षा कवच जैसी झिल्ली को नष्ट कर देते हैं, जिससे बैक्टीरिया कमजोर होकर मर जाते हैं। चार संभावित रोगाणु नाशक पेप्टाइड्स में से दो को सैल्मोनेला टाइफी के खिलाफ कारगर पाया गया।
अंत में, शोधकर्ताओं ने टमाटर के रस की क्षमता का परीक्षण पाचन और मूत्र मार्ग को नुकसान पहुंचाने वाले अन्य बैक्टीरिया के खिलाफ भी किया।
इस शोध से पता चलता है कि टमाटर का रस न सिर्फ सैल्मोनेला टाइफी बल्कि उसके खतरनाक रूपों और पाचन व मूत्र मार्ग को नुकसान पहुंचाने वाले अन्य बैक्टीरिया को भी खत्म कर सकता है। टमाटर के रस में पाए जाने वाले रोगाणु नाशक पेप्टाइड्स बैक्टीरिया की सुरक्षा झिल्ली को नष्ट करके यह काम करते हैं।
शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इस खोज से लोगों, खासकर बच्चों और किशोरों में टमाटर और अन्य फल-सब्जियों का सेवन बढ़ेगा। इससे उनका स्वास्थ्य बेहतर होगा और रोगाणुओं से होने वाली बीमारियों का खतरा कम होगा।