पांच वायरस जो आपके दिमाग पर बुरा असर डालते हैं These 5 viruses affect the brain
वेस्ट नाइल फीवर वेस्ट नाइल फीवर के फैलने का कारण फ्लेविविरिडे वायरस है। इस बुखार के लक्षणों में सिरदर्द, तेज बुखार, गर्दन में अकड़न, मांसपेशियों में कमजोरी, मन भटकना, कंपन, दौरे और कोमा आदि आते हैं। इस वायरस को ज्यादा घातक नहीं माना जाता है लेकिन यदि यह आपके दिमाग (Brain) तक पहुंच गया तो आपके लिए हानिकारक हो सकता है। यह वायरस दिमाग और रीढ़ की हड्डी की परत पर सूजन कर सकता है। कोविड-19 कोविड-19 का वायरस मानव मस्तिष्क (Brain) पर अल्पकालिक या दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है। इस बीमारी के कारण मस्तिष्क में सूजन उत्पन्न होती है। कोविड-19 से प्रभावित व्यक्तियों में भूलने की समस्या भी विकसित हो सकती है। कई मरीज जो कोविड-19 से ठीक हुए हैं, उनमें ब्रेन फॉग की स्थिति देखी गई है। इसके अलावा, कोविड-19 के कारण लोग अधिक तनाव, दबाव या भावनात्मक अस्थिरता का अनुभव कर रहे हैं। कुछ अध्ययन बताते हैं कि कोविड-19 के प्रभाव से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ सकता है।
यह भी पढ़े : कोरोना के बाद डेंगू ने बढ़ाई हार्ट की समस्या, शोध में डेंगू के मरीजों में 55 फीसदी हार्ट की परेशानी आई सामने डेंगू डेंगू एक ऐसा रोग है जो मच्छरों के माध्यम से फैलता है। यह रोग मस्तिष्क पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। इसके प्रमुख लक्षणों में तेज बुखार, जोड़ों और हड्डियों में दर्द, मतली, उल्टी और आंखों के पीछे दर्द शामिल हैं। एक अध्ययन के अनुसार, DENV-2 और DENV-3 के संक्रमण का मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसे डेंगू एन्सेफैलोपैथी कहा जाता है, जिसमें मस्तिष्क (brain) में सूजन हो सकती है। यदि डेंगू का समय पर उपचार नहीं किया जाता है, तो यह पैरालिसिस या ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन सकता है।
ईस्टर्न इक्वाइन एन्सेफलाइटिस ईस्टर्न इक्वाइन एन्सेफलाइटिस (EEE) एक ऐसा रोग है जो संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है। यह वायरस न केवल आपके इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है, बल्कि मस्तिष्क पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है, जिससे आपकी सोचने और समझने की क्षमता में कमी आ सकती है। कभी-कभी, यह वायरस उन पक्षियों के माध्यम से भी फैलता है, जिन्हें संक्रमित मच्छरों ने काटा होता है।
यह भी पढ़े : समस्या का समाधान है इस पेय पदार्थ में, दिल के दौरे का खतरा कम कर सकती है यह एक ड्रिंक रेबीज रेबीज को एक अत्यंत गंभीर बीमारी माना जाता है। यह बीमारी आमतौर पर जानवरों के काटने या खरोंचने से फैलती है। यह एक खतरनाक वायरस है। यदि इसका उपचार समय पर नहीं किया गया, तो यह वायरस नसों के माध्यम से मस्तिष्क में प्रवेश कर सकता है। मस्तिष्क में पहुंचने पर यह न्यूरोलॉजिकल विकारों का कारण बन सकता है। जैसे-जैसे यह बीमारी मस्तिष्क में फैलती है, व्यक्ति के अंदर आक्रामकता बढ़ने लगती है। वायरस के प्रभाव से व्यक्ति हिंसक हो सकता है। रेबीज के कारण व्यक्ति कोमा में जा सकता है या यहां तक कि उसकी मृत्यु भी हो सकती है।