डिजिटल युग और नींद की समस्या The digital age and sleep problems
आज की डिजिटल जिंदगी में ज्यादातर लोग नींद पूरी नहीं ले पाते हैं। स्क्रीन पर ज्यादा वक्त बिताने की वजह से उनकी नींद की गुणवत्ता खराब हो रही है। इससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। इसी समस्या के समाधान के रूप में स्लीप टूरिज्म (Sleep Tourism0 का उभार हुआ है।युवाओं की नई पसंद: स्लीप पैकेज Youth’s new choice: Sleep Package
ट्रेवल एजेंट विनोद कुमार के अनुसार, युवाओं में नींद पर केंद्रित रिट्रीट, ब्रेक और मिनी वेकेशन में दिलचस्पी तेजी से बढ़ रही है। खासतौर पर मिलेनियन्स और जनरेशन जेड की संख्या अधिक है। भारत में उदयपुर, जयपुर, सवाईमाधोपुर, कूर्ग, कोडाईकनाल, मसूरी, ऋषिकेश, गोवा, केरल और मेघालय जैसी जगहें स्लीप टूरिज्म (Sleep Tourism) के लिए पसंदीदा स्थल बन गए हैं। जयपुर में कई रिसॉर्ट और होटल स्लीप पैकेज उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनकी कीमत 7 से 50 हजार रुपये तक है।विनीता खंडेलवाल का अनुभव
विनीता खंडेलवाल ने बताया कि पिछले 6 माह में वर्कलोड बढ़ने से उनकी नींद पूरी नहीं हो पा रही थी। सोशल मीडिया पर स्लीप टूरिज्म (Sleep Tourism) के बारे में जानने के बाद उन्होंने केरल का प्लान बनाया। ट्री हाउस में स्लीप पैकेज बुक कर एक सप्ताह बिताने के बाद उन्होंने खुद को तरोताजा महसूस किया। अब वह हर तीन से चार महीने में स्लीप ट्रेवल जरूर करती हैं।
क्या है स्लीप टूरिज्म? What is sleep tourism?
स्लीप टूरिज्म को ‘नैप्सेशन’ या ‘नैप हॉलिडे’ भी कहा जाता है। इसमें लोग दर्शनीय स्थलों की यात्रा के बजाय आराम और तनावमुक्त नींद लेते हैं। इसका उद्देश्य नींद की गुणवत्ता, पैटर्न और सेहत को बेहतर बनाना है, जिससे मन और शरीर को डिटॉक्स कर वर्तमान पर फोकस किया जा सके।आंकड़ों की जुबानी
- 85 प्रतिशत भारतीय अपनी नींद के बारे में अधिक जागरूक हैं।
- 20 प्रतिशत लोग छुट्टी के लिए नींद को भी मकसद मानते हैं।
- 51 प्रतिशत भारतीयों के लिए यात्रा में आराम सबसे जरूरी है।
- 48 प्रतिशत भारतीय यात्री 4-सितारा होटल चुनते हैं और 22 प्रतिशत विशेष आवास पसंद करते हैं।
विशेषज्ञों की राय
प्रकाश गोयल, ट्रेवल एंटरप्रेन्योर, का मानना है कि स्लीप टूरिज्म तेजी से बढ़ रहा है। पहले जहां लोग घूमने-फिरने के लिए आते थे, अब लोग सिर्फ आराम करने के लिए आ रहे हैं। इसमें 22 से 35 वर्ष की आयु के लोग अधिक शामिल हैं। डॉ. आलोक त्यागी, साइकोलॉजिस्ट, कहते हैं कि ओटीटी, स्क्रीन और तनावपूर्ण काम के कारण लोगों की नींद पूरी नहीं हो रही है। नियमित रूप से 7 घंटे से कम नींद लेने से व्यवहार में बदलाव जैसे चिड़चिड़ापन, क्रोध, डिप्रेशन, चिंता, थकान और शरीर में ताकत की कमी आती है। ऐसे में स्लीप टूरिज्म एक अच्छा विकल्प है।