इसलिए भी होता है इनसे नुकसान
इन गोलियों में एस्पार्टेम, सैकरिन, सुक्रोज और रेबियाना जैसे पदार्थ होते हैं। शुगर फ्री गोलियों की पैकिंग पर ये नाम लिखे होते हैं। कई अन्य शोध में यह भी कहा गया है कि इसे प्राकृतिक उत्पादों की मदद से तैयार किया जाता है लेकिन केमिकल प्रोसेस के कारण ये अधिक नुकसान पहुंचाती हैं।
शोध: मोटापे को बढ़ाती हैं ये गोलियां
मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल (अमरीका) की एक रिसर्च के अनुसार, जो लोग वजन घटाने के लिए शुगर फ्री गोलियां लेते हैं उनमें यह बिल्कुल कारगर नहीं है। यह मेटाबॉलिज्म और पाचन पर असर डालकर मोटापे को बढ़ाती है। लंबे समय तक लेने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की आशंका भी रहती है।
खत्म करती हैं पेट में बैक्टीरिया
शुगर फ्री गोलियों से आंतों में मौजूद बैक्टीरिया पर नकारात्मक असर पड़ता है, जिससे भूख कम लगती है। मोटापा बढऩे से हार्ट की बीमारियों की आशंका बढ़ती है। कुछ मामलों में लंबे समय तक शुगर फ्री गोलियों को लेने से आंखों की रोशनी भी घटने की आशंका देखी गई है।
तत्काल साइड इफेक्ट
कुछ लोगों में शुगर फ्री गोलियां लेने के तात्कालिक लक्षण भी दिखते हैं जैसे सिरदर्द, मितली, जोड़ों में दर्द, नींद न आना, घबराहट आदि। अगर कोई व्यक्ति शुगर फ्री गोलियां लेता है और इसमें ऐसे लक्षण दिखते हैं तो उसे इस तरह की गोलियां तत्काल छोड़ देनी चाहिए।
ऐसे बढ़ता है वजन
अमरीका के सेंटर फॉर साइंस इन पब्लिक इंटरेस्ट के मुताबिक, कृत्रिम स्वीटनर्स से पेट भरा हुआ नहीं लगता और सामने वाले को भूख लगने लगती है। भूख लगेगी तो अधिक खाएंगे और वजन बढऩे से दूसरी लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों की आशंका रहती है।
इसलिए भी शुगर फ्री लेने से बचना चाहिए
एक चम्मच चीनी में करीब 18 कैलोरी होती है और ज्यादा चीनी खाने से मोटापा बढ़ता है। शुगर फ्री गोलियों में कैलोरी नहीं होती है लेकिन इससे दूसरे तरह से नुकसान होते हैं। इसलिए जो लोग शुगर फ्री वाला सोडा, पेस्ट्री या मिठाइयां लेते हैं उनके मेटाबॉलिज्म पर दुष्प्रभाव पडऩे से नुकसान होता है। अमरीका की पड्र्यू यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च के मुताबिक, डाइट सोडा से मोटापा, डायबिटीज और हार्ट संबंधित बीमारियां हो सकती हैं। इसी तरह शुगर फ्री मिठाइयां और पेस्ट्री भी नुकसान पहुंचाती हैं।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।