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ब्रांड्स के लिए सख्त नियम: “नेचुरल” और “ऑर्गेनिक” शब्दों का उपयोग प्रतिबंधित

भारत के उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने ग्रीनवॉशिंग से निपटने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, ताकि विज्ञापनों में किए जाने वाले पर्यावरणीय दावे सटीक और प्रमाणित हों। ग्रीनवॉशिंग एक भ्रामक प्रक्रिया है, जिसमें कंपनियां अपने उत्पादों या सेवाओं के पर्यावरणीय लाभों के बारे में अतिरंजित या गलत दावे करती हैं।

जयपुरOct 16, 2024 / 05:19 pm

Manoj Kumar

No More Greenwashing: Brands Can No Longer Use “Natural” or “Organic” Without Proof

No More Greenwashing : भारत के उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने हाल ही में ग्रीनवॉशिंग (Greenwashing) और भ्रामक पर्यावरणीय दावों को रोकने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य उपभोक्ताओं को सही जानकारी प्रदान करना और कंपनियों को उनके दावों के लिए उत्तरदायी बनाना है।

क्या है ग्रीनवॉशिंग? What is Greenwashing?

ग्रीनवॉशिंग (Greenwashing) एक ऐसा छलपूर्ण तरीका है जिसमें कंपनियां अपने उत्पादों या सेवाओं के पर्यावरणीय लाभों के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर या गलत दावे करती हैं। ये दावे अक्सर “प्राकृतिक,” “ऑर्गेनिक,” “इको-फ्रेंडली” जैसे अस्पष्ट शब्दों का उपयोग करते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को धोखा दिया जाता है और वास्तविक पर्यावरणीय प्रयासों को कमजोर किया जाता है।

नए दिशानिर्देश: 2024 का महत्वपूर्ण कदम

CCPA द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देश, “ग्रीनवॉशिंग या भ्रामक पर्यावरणीय दावों की रोकथाम और विनियमन के लिए दिशानिर्देश, 2024,” का उद्देश्य पर्यावरणीय विपणन में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करना है। इन दिशानिर्देशों में कंपनियों से पर्यावरणीय दावों को प्रमाणित करने की उम्मीद की गई है और उन्हें ग्रीनवॉशिंग करने से रोका गया है।

पर्यावरणीय दावे और ग्रीनवॉशिंग की स्पष्ट परिभाषाएं Clear definitions of environmental claims and greenwashing

दिशानिर्देशों में “पर्यावरणीय दावा” और “ग्रीनवॉशिंग” जैसे शब्दों की स्पष्ट परिभाषा दी गई है, जिससे उपभोक्ताओं और व्यवसायों को इनका सही मतलब समझने में मदद मिलेगी।
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ग्रीनवॉशिंग पर रोक Ban on greenwashing

दिशानिर्देशों के अनुसार, कंपनियों को ग्रीनवॉशिंग करने या भ्रामक पर्यावरणीय दावे करने से स्पष्ट रूप से मना किया गया है, जब तक कि उनके पास विश्वसनीय प्रमाण न हो। कोई भी दावा बिना साक्ष्य के मान्य नहीं माना जाएगा।

प्रमाणन और जानकारी का खुलासा

सभी पर्यावरणीय दावे विश्वसनीय वैज्ञानिक साक्ष्य या तृतीय-पक्ष प्रमाणपत्रों द्वारा समर्थित होने चाहिए। इसके साथ ही उत्पाद, उसकी निर्माण प्रक्रिया और पैकेजिंग से संबंधित उचित जानकारी का खुलासा अनिवार्य किया गया है।

भ्रामक शब्दों पर प्रतिबंध

“सस्टेनेबल,” “नेचुरल,” “ऑर्गेनिक,” और “रिजेनेरेटिव” जैसे शब्दों का उपयोग तब तक नहीं किया जा सकता जब तक उनके बारे में स्पष्ट और सटीक जानकारी न दी जाए।

तृतीय-पक्ष प्रमाणन को प्रोत्साहन

कंपनियों को प्रोत्साहित किया गया है कि वे तृतीय-पक्ष प्रमाणन का उपयोग करें ताकि उनके पर्यावरणीय दावे अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय हो सकें। इससे उपभोक्ताओं का विश्वास भी बढ़ेगा।

उपभोक्ताओं की सुरक्षा और व्यवसायों की जिम्मेदारी

इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य कंपनियों को पर्यावरणीय जिम्मेदारी से हतोत्साहित करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि वे अपने दावों के प्रति ईमानदार रहें। CCPA के अनुसार, “इन दिशानिर्देशों का मुख्य लक्ष्य उपभोक्ताओं को भ्रामक जानकारी से बचाना और व्यवसाय समुदाय में वास्तविक पर्यावरणीय जिम्मेदारी को बढ़ावा देना है।”

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इन नए दिशानिर्देशों से जहां उपभोक्ताओं को सही और प्रमाणित जानकारी मिलेगी, वहीं व्यवसायों के लिए यह पारदर्शिता और विश्वास बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह कदम ग्रीनवॉशिंग जैसी धोखाधड़ी पर रोक लगाने और सही पर्यावरणीय प्रयासों को मान्यता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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