नाक बंद होना या बहना पहला लक्षण हो सकता है। शुरू में नाक से बहने वाला लिक्विड पतला होता है, लेकिन फिर गाढ़ा हो जाता है। साथ ही चिड़चिड़ापन बुखार, खांसी (खासकर रात में ), छींकें आना, भूख कम लगना और नींद में समस्या होती है। ऐसा 3-10 दिनों तक रह सकता है।
शिशु को सर्दी-जुकाम के साथ ठंड लगना, उल्टी-दस्त हो रहा तो फ्लू हो सकता है। साथ ही सिरदर्द और शरीर की मांसपेशियों में दर्द, बदन दर्द, गले में दर्द की समस्या हो सकती है। लेकिन नवजात नहीं बता पाता है।
निमोनिया में भी सर्दी-जुकाम के साथ शुरुआत होती है। लेकिन पसीना आना, तेज बुखार व खांसी, पेट के निचले हिस्से में दर्द, त्वचा का लाल होना, तेज-तेज सांस लेना आदि। लापरवाही ठीक नहीं
तीन दिन से हालत में सुधार नहीं हो रहा है। सूखी खांसी या बहुत ज्यादा खांसी हो, नवजात सुस्त, चिड़चिड़ापन, डिहाइड्रेशन, उल्टी-दस्त, छह घंटों से यूरिन नहीं किया है और कान खींच रहा है।
एक चम्मच सरसों तेल में एक लहसुन की कली, एक लौंग, एक चुटकी अजवायन मिलाकर गर्म करें। जब गुनगुना हो जाए तो नवजात की छाती और पीठ पर लगाएं। वायरल इंफेक्शन के ३ मुख्य कारण
सर्दी-जुकाम नाक और गले के संक्रमण ऊपरी श्वसन तंत्र में संक्रमण की वजह से होता है। 100 से अधिक वायरसों से नवजात में संक्रमण हो सकता है। वायरस बच्चों के मुंह, नाक और आंखों से शरीर में प्रवेश करते हैं। दूसरा बड़ा कारण ठंडी हवा भी है। तीसरा प्रमुख कारण अगर किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो उनसे भी वायरल इंफेक्शन हो जाता है। फ्लू के वायरस हवा या सतह पर करीब दो-तीन घंटों के लिए जीवित रहते हैं। इनको छूने से संक्रमण हो सकता है।
नाक के म्यूकस को ढीला करने के लिए भाप दिलाना असरकारी है। शिशु के कमरे में फेशियल स्टीमर या वेपोराइजर की मदद से भाप फैला दें।
एक साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए गर्म पानी में यूकेलिप्टस ऑयल की कुछ बूंदें भी डाल सकते हैं। इसको नारियल तेल में मिलाकर मालिश भी कर सकते हैं।
दो साल से अधिक उम्र के बच्चे को नमक के पानी से गरारे करवाएं। पहले सादे पानी से गरारे करना सिखाएं।
दूध पिला रही माताओं को अपने आहार का भी ध्यान रखना चाहिए। ऐसे आहार नहीं खाने चाहिए जिनसे नवजात को भी समस्या हो। उन्हें चाहिए कि आहार में सौंठ और शतावरी लें।
नवजात का सिर और पैर हमेशा कवर रखें। इनसे ही ठंडक लगने की आशंका रहती है।
छह माह से छोटे शिशु को नियमित स्तनपान कराते रहें। नाक साफ करते रहें ताकि शिशु को सांस लेने में आसानी हो। अगर हीटर चला रहे हैं तो भी घर में नमी बनी होनी चाहिए। इसके लिए कमरे में एक बर्तन में पानी भरकर भी रखें। डायपर पहनाने से पहले नारियल तेल लगाएं।