क्यों बढ़ जाती है सर्दियों में रीढ़ की हड्डी में दर्द की समस्या : Why does the problem of spinal pain increase in winter?
यह भी पढ़ें: इस बीमारी के होते ही बिना शौक के नाचने लगते हैं लोग, जानिए कौनसी है ये बीमारी विशेषज्ञों का कहना है कि गठिया हर्नियेटेड डिस्क या स्पाइनल स्टेनोसिस जैसी समस्याओं से ग्रसित व्यक्तियों के लिए यह मौसम और भी अधिक कष्टदायक हो सकता है। वास्तव में ठंड का प्रभाव स्लिप डिस्कए साइटिका या स्पाइनल फाइबर्स पर दबाव को बढ़ा सकता है। इसके अलावा जो लोग इन समस्याओं से प्रभावित नहीं हैं उनके लिए भी यह मौसम चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने से पीठ दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसलिए सर्दी के मौसम में रीढ़ की सेहत को बनाए रखने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं।
बचाव का क्या है तरीका : spinal cord tips for winters
विशेषज्ञ कहते हैं कि सर्दी से बचने के लिए गर्म कपड़े पहनना थर्मल और शॉल का उपयोग करना और पीठ को हमेशा गर्म रखना अत्यंत आवश्यक है। रीढ़ की सुरक्षा (spinal cord tips for winters) के लिए सही मुद्रा बनाए रखना महत्वपूर्ण है विशेषकर जब लंबे समय तक बैठने का समय बढ़ता है। एर्गोनोमिक कुर्सी और सही बैठने की आदतें पीठ दर्द से बचने में मदद कर सकती हैं। सर्दियों में शारीरिक गतिविधि बनाए रखना कठिन हो सकता है लेकिन नियमित व्यायाम योग और हल्की स्ट्रेचिंग से मांसपेशियों की लचीलापन और रक्त संचार में सुधार होता है।रीढ़ की हड्डी में दर्द ये उपाय भी कारगर : These remedies are also effective for spinal pain
इस दौरान हाइड्रेशन का ध्यान रखना भी आवश्यक है। सर्दियों में स्वस्थ रहने के लिए ध्यान गहरी सांस लेने की तकनीकें और योग का अभ्यास करना फायदेमंद साबित होता है। इसके अतिरिक्त रीढ़ (spinal cord tips for winters) की मजबूती के लिए कैल्शियम विटामिन डी और ओमेगा 3 से भरपूर आहार जैसे दूध, दही, हरी सब्जियां और मेवे अत्यंत लाभकारी होते हैं। इसके अलावा सोने की उचित व्यवस्था जैसे कि सख्त गद्दे का उपयोग और करवट लेते समय घुटनों के बीच तकिया रखनाए निचली पीठ पर दबाव को कम करने में सहायक होता है। इन उपायों को अपनाकर ठंड के मौसम में रीढ़ से संबंधित समस्याओं से बचा जा सकता है। यह भी पढ़ें: कड़वा है लेकिन फायदेमंद भी, जानिए करेला जूस के अद्भूत फायदे डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।