स्वास्थ्य

Social Media Addiction : ‘बॉर्डरलाइन पर्सनेलिटी डिसऑर्डर’ के शिकार हो रहे सोशल मीडिया के दीवाने

Borderline Personality Disorder : विशेषज्ञों के अनुसार यह पर्सनेलिटी डिसऑर्डर एक प्रकार का मानसिक विकार है, जिससे न सिर्फ मानसिक स्थिति, बल्कि रिश्ते भी खराब होने लगते हैं। कई बार यह विकार डिप्रेशन का रूप धारण कर लेता है।

जयपुरJul 08, 2024 / 05:34 pm

Manoj Kumar

Mental Health

Borderline Personality Disorder : 22 वर्षीय ऋतिक घंटों सोशल मीडिया पर समय बिताता, पर लोगों के बीच घुलमिल नहीं पाता था। उसे सोशल मीडिया की तो पूरी जानकारी थी, लेकिन सामान्य ज्ञान कम था। जब भी वो बोलता तो लोग हंस जाते या मजाक बना लेते। धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास कम होता गया और गुस्सैल होने लगा। वह अपनी भावनाओं को लेकर अस्थिर भी महसूस करने लगा। परिजनों ने डॉक्टर को दिखाया तो सामने आया कि वह ‘बॉर्डरलाइन पर्सनेलिटी डिसऑर्डर’ का शिकार है। यह सिर्फ अकेले ऋतिक की परेशानी नहीं है, बल्कि राजधानी के मनोचिकित्सकों के पास हर माह 40 से 50 केस इस डिसऑर्डर के आ रहे हैं।

आत्मविश्वास की कमी

प्रताप नगर निवासी 30 वर्षीय महिला के परिवार के एक सदस्य ने बताया कि वह महिला अपने शादीशुदा जीवन के शुरुआत से ही पति से लड़ने लगी और पति पर कभी भी विश्वास नहीं करती थीं। वह अपने रिश्ते को लेकर बचपन से ही अस्थिर रहीं। बचपन से ही वह एग्रेसिव रहती और अपने रिश्तों को लेकर हमेशा से आत्मविश्वास की कमी रही। लेकिन परिवार वालों ने हमेशा उसके इस स्वभाव को अनदेखा किया। समय के साथ यह समस्या बढ़ती गई। शादीशुदा जीवन में डाइवोर्स की नौबत आ गई। अब कॉउंसलर की मदद से उसका ट्रीटमेंट चल रहा है।

क्या है यह मानसिक विकार

इसमें भावनाओं को काबू करने में दिक्कत आती है। आमतौर पर यह युवावस्था में शुरू होता है। इसमें व्यक्ति की सोच, भावना और व्यवहार प्रभावित होता है। इसके चलते सही समय पर मदद नहीं लेने से डिप्रेशन और एंग्जाइटी से पीड़ित होने की भी संभावना बढ़ जाती है।

सोशल मीडिया और अत्यधिक तनाव जिमेदार

इस तरह के डिसऑर्डर गंभीर मानसिक बिमारी का कारण भी बन सकते हैं। यह युवाओं को अधिक प्रभावित कर रहा है। सोशल मीडिया और अत्यधिक तनाव वाले कामकाज के कारण कई युवा तनाव और असुरक्षित महसूस करते हैं। हॉलीवुड से बॉलीवुड तक कई अभिनेताओं ने अपने जीवन में बॉर्डरलाइन पर्सनेलिटी डिसऑर्डर का सामना किया है। सही समय पर इसकी पहचान करना बेहद जरूरी है। थेरेपी से इसका इलाज किया जा सकता है।
-डॉ.मनीषा शर्मा, मनोचिकित्सक और कॉउंसलर

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