चिकित्सा विभाग ने सभी शिशु रोग विशेषज्ञों को लबे समय तक उल्टी दस्त व सरदर्द की शिकायत वाले बच्चों पर विशेष नजर रखने और संदिग्ध बच्चों के सैंपल लेकर मुख्यालय को सीधे रिपोर्ट करने के कहा हैं। जिससे समय रहते संदिग्ध बच्चे के सैंपल की जांच पुणे स्थित वायरलॉजी लैब में करवाई जा सके। हालांकि इन दिनों मौसम परिवर्तन के कारण उल्टी दस्त के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इससे अस्पतालों में चिकित्सा सेवाएं बाधित होने लगी है।
संदिग्ध तो करें सर्वे
आरसीएचओ डॉ. छोटेलाल ने बताया कि जिले में सभी शिशुरोग विशेषज्ञों को ओपीडी में उल्टी दस्त की बीमारी वाले बच्चों की निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं। फील्ड में आशा सहयोगिनी, एएनएम इस प्रकार के बच्चों का ध्यान रखें और संदिग्ध या मरीज की केस हिस्ट्री गुजरात या आस-पास के क्षेत्रों से जुड़ी हुई मिले तो आस-पास के घरों का सर्वे करे और फौरन मुख्यालय को सूचना दें। आमजन भी इसको लेकर सावधानी बरतें। क्या है Chandipura Virus
चांदीपुरा वायरस एक आरएनए वायरस है। यह सबसे अधिक मादा लेबोटोमाइन मक्खी से ही फैलता है। इसमें लू में होने वाले उल्टी, गर्दन में ऐंठन व सिरदर्द जैसे सामान्य लक्षण होते हैं। 15 साल से कम उम्र के बच्चे इसके ज्यादा शिकार होते हैं। इस बीमारी में ( chandipura virus symptoms ) तेज बुखार, उल्टी, ऐंठन होने लगती है। चांदीपुरा वायरस के संक्रमण से कोशिकाओं में पीटीईएन पदार्थ कम बनने लगता है। इससे मस्तिष्क में सूजन आ जाती है। समय पर इलाज नहीं मिलने पर मरीज कोमा में चला जाता है।
इनका कहना है
मानसून सीजन को देखते हुए एहतियात के तौर पर फील्ड स्टॉफ को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। किसी भी बच्चे को तेज बुखार, उल्टी व ऐंठन जैसे लक्षण हो, तो उसका घर पर उपचार करने की बजाए फौरन चिकित्सक से परामर्श कर उपचार करना चाहिए। डॉ. निर्मल सिंह, सीएमएचओ सीकर