एसटीडी (Sexually Transmitted Diseases) एक ऐसा रोग है जो संबंध बनाने से फैलता है। यह रोग महिला और पुरुष दोनों को संक्रमित कर सकता है। इस रोग से हम शारीरिक के साथ मानसिक तौर पर भी प्रभावित हो सकते हैं। इस बीमारी का होने का कारण मुख्य तौर पर हम ब्रेस्टफीडिंग और इंट्रावेनस होता है। यदि हम इस बीमारी का समय रहते इलाज नहीं कराते हैं तो यह गंभीर समस्या पैदा कर सकता है।
एसटीडी के होने का कारण : Sexually Transmitted Diseases
हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, एचआईवी (एड्स का कारण), हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस (एचएसवी) और मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी) इस बीमारी (Sexually Transmitted Diseases) के कारण हो सकते हैं। ट्रेपोनेमा पैलिडम नामक बैक्टीरिया के कारण क्लैमिडिया, गोनोरिया, सिफलिस और यौन रोग होने की संभावना बढ़ सकती है।एसटीडी के प्रकार Types of Sexually Transmitted Diseases
गोनोरिया, क्लैमाइडिया, सिफलिस, जननांग दाद, एचआईवी (ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस), एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमावायरस) आदि प्रकार शामिल है।एसटीडी होने के लक्षण Signs of having an Sexually Transmitted Diseases
एसटीडी (Sexually Transmitted Diseases) के लक्षणों में वजाइना से असामान्य डिस्चार्ज, पेशाब में जलन, पेट दर्द, खुजली या जलन, संबंध के दौरान दर्द, वजाइना में छाले, बुखार, थकान आदि लक्षण शामिल है आपको यह लक्षण दिखे तो आपको तुरंत सावधान हो जाना चाहिए।एसटीडी होने पर खतरा Risk of getting an Sexually Transmitted Diseases
- बांझपन
- गर्भपात
- जन्मजात विकृतियां
- पुरानी स्वास्थ्य समस्याएं
- एचआईवी संक्रमण
- मृत्यु
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एसटीडी का क्या है इलाज What is the treatment for Sexually Transmitted Diseases
इस रोग का उपचार संक्रमण के कारण पर निर्भर करता है। कुछ यौन संचारित रोगों का उपचार एंटीबायोटिक दवाओं के माध्यम से किया जा सकता है, जबकि अन्य का उपचार एंटीवायरल दवाओं से किया जाता है। कुछ यौन संचारित रोगों का पूर्ण उपचार संभव नहीं है, लेकिन इनका उपचार लक्षणों को नियंत्रित करने और संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए किया जा सकता है।कैसे बचे एसटीडी से How to avoid Sexually Transmitted Diseases
- कंडोम का उपयोग एसटीडी से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है।
- एक से ज्यादा संबंध बनाने से बचना चाहिए।
- नियमित रूप से एसटीडी टेस्ट करवाना जरूरी है।