कैंसर और डिमेंशिया का प्रभाव Impact of cancer and dementia
हाल ही में एक डेनिश शोध ने खुलासा किया कि सेप्सिस के रोगियों (Patients with sepsis) में कैंसर और डिमेंशिया जैसे कारक मृत्यु दर को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं। कोपेनहेगन में यूरोपियन इमरजेंसी मेडिसिन कांग्रेस में प्रस्तुत किए गए इस शोध के अनुसार, कैंसर का इतिहास रखने वाले रोगियों में मृत्यु का जोखिम दोगुना होता है, जबकि डिमेंशिया से यह जोखिम 90 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यह भी पढ़ें : अंडे से भी ज्यादा प्रोटीन लिए बैठें हैं ये 9 देसी स्नैक्स, इस तरह से करें डाइट में शामिल
उम्र और हृदय रोग से भी बढ़ता है खतरा
डॉ. फिन ई. नीलसन, जो डेनमार्क के आरहुस यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के क्लिनिकल एपिडेमियोलॉजी विभाग में वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं, बताते हैं कि उम्र और हृदय रोग भी सेप्सिस के बाद मृत्यु दर को बढ़ाने वाले महत्वपूर्ण कारक हैं। शोध में पाया गया कि उम्र बढ़ने से मृत्यु का जोखिम हर साल 4 प्रतिशत बढ़ जाता है, और हृदय रोग के मामले में यह जोखिम 39 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।अस्पताल में भर्ती के बाद पहले छह महीने जोखिमपूर्ण
शोध से यह भी सामने आया कि सेप्सिस (Sepsis) के बाद मरीज के जीवन पर सबसे बड़ा खतरा उस समय होता है जब उसे सेप्सिस के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया हो। अस्पताल में भर्ती होने के छह महीने के दौरान मृत्यु का खतरा 48 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यह दिखाता है कि सेप्सिस के बाद जीवन की गुणवत्ता और देखभाल में विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता होती है।शोध की प्रमुख बातें
– शोध अक्टूबर 2017 से मार्च 2018 के बीच आपातकालीन विभाग में भर्ती 714 वयस्क सेप्सिस रोगियों पर किया गया।– अध्ययन में पाया गया कि दो वर्षों के भीतर 50.6 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु हो गई।
– जिन मरीजों का कैंसर का इतिहास था, उनमें मृत्यु दर का जोखिम दोगुना पाया गया।
– डिमेंशिया, हृदय रोग, और अस्पताल में भर्ती होने के छह महीने के भीतर जोखिम में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई।
आगे की दिशा: और शोध की आवश्यकता
शोधकर्ताओं ने बताया कि सेप्सिस (Sepsis) के जोखिम कारकों को बेहतर ढंग से समझने के लिए अभी और शोध की आवश्यकता है। डॉ. नीलसन के अनुसार, “सेप्सिस एक गंभीर समस्या है और इसमें मृत्यु दर का जोखिम अत्यधिक है। इसके लिए चिकित्सकीय दृष्टिकोण और गहन शोध की जरूरत है।”
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