स्किन पर पड़ने वाले लाल छोटे दाने कई बार चकत्ते में बदल जाते हैं और उसमें खुजली बंद ही नहीं होती। स्केबीज रैश की ये समस्या सरकोप्ट्स स्कैबी नामक एक आठ-पैर वाली सूक्ष्मदर्शी घुन के कारण होती है। यह एक प्रकार का संक्रामक रोग है जो करीबी और शारीरिक संपर्क के माध्यम से यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत आसानी से फैल सकता है। इसकी वजह से ही स्किन पर चकत्ते, लालिमा और दाने आने लगते हैं।
इस प्रकार से संक्रामक होने के कारण इसके घर, चाइल्ड केयर ग्रुप, स्कूल क्लास, नर्सिंग होम या जेल जैसी जगहों पर जल्दी फैलने की संभावना अधिक हो जाती है।संक्रमित व्यक्ति से ये संक्रमण मिलने के स्केबीज या खाज का असर 2 से 6 सप्ताह के बीच नजर आता है।
इस प्रकार से संक्रामक होने के कारण इसके घर, चाइल्ड केयर ग्रुप, स्कूल क्लास, नर्सिंग होम या जेल जैसी जगहों पर जल्दी फैलने की संभावना अधिक हो जाती है।संक्रमित व्यक्ति से ये संक्रमण मिलने के स्केबीज या खाज का असर 2 से 6 सप्ताह के बीच नजर आता है।
स्केबीज के स्किन पर लक्षण
खुजली: अधिकतर रात में बेतहाशा खुजली होने इसका पहला लक्षण है।
चकत्ते: जब माइट स्किन में प्रवेश रेंगने लगते हैं तो स्किन की ऊपरी परतों में किसी के काटने, गांठें, फुंसी या पपड़ीदार स्किन की फीलिंग हेाती है। इसमें छाले भी हो सकते हैं।
घाव: संक्रमित स्किन पर घाव हो जाते हैं। आमतौर पर स्टैफिलोकोकस ऑरियस के साथ किसी अन्य संक्रमण के कारण भी घाव हो सकते हैं।
मोटी परतें: क्रस्टेड स्कैबीज़, जिन्हें नॉर्वेजियन स्कैबीज़ के रूप में भी जाना जाता है, गंभीर खाज का एक रूप होता है, जिसमें त्वचा की परत के भीतर सैकड़ों से हजारों माइट्स और मैट्स के अंडे होते हैं, यह एक गंभीर लक्षण होता है। इससे स्किन पर भूरे, मोटे, और फटे हुए क्रस्ट्स दिखाई दने लगते हैं।
संक्रमण का असर सबसे ज्यादा इन जगहों पर होता है
खुजली: अधिकतर रात में बेतहाशा खुजली होने इसका पहला लक्षण है।
चकत्ते: जब माइट स्किन में प्रवेश रेंगने लगते हैं तो स्किन की ऊपरी परतों में किसी के काटने, गांठें, फुंसी या पपड़ीदार स्किन की फीलिंग हेाती है। इसमें छाले भी हो सकते हैं।
घाव: संक्रमित स्किन पर घाव हो जाते हैं। आमतौर पर स्टैफिलोकोकस ऑरियस के साथ किसी अन्य संक्रमण के कारण भी घाव हो सकते हैं।
मोटी परतें: क्रस्टेड स्कैबीज़, जिन्हें नॉर्वेजियन स्कैबीज़ के रूप में भी जाना जाता है, गंभीर खाज का एक रूप होता है, जिसमें त्वचा की परत के भीतर सैकड़ों से हजारों माइट्स और मैट्स के अंडे होते हैं, यह एक गंभीर लक्षण होता है। इससे स्किन पर भूरे, मोटे, और फटे हुए क्रस्ट्स दिखाई दने लगते हैं।
संक्रमण का असर सबसे ज्यादा इन जगहों पर होता है
संक्रमण पर ये घरेलू नुस्खों हैं कारगर
टी ट्री ऑयल
खुजली वाले दानों पर टी ट्री ऑयल लगाने से खुजली और दानें दोनों ही कम होंगे। साथ ही 1 बोतल में पानी भरें। अब इसमें टी ट्री ऑयल की कुछ बूंदें मिक्स कर लें। इसके बाद इसे बिस्तर पर स्प्रे करें। नियमित रूप से टी ट्री ऑयल के इस्तेमाल से एलर्जी की संभावना कम होती है। इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी वायरस, एसारिसाइडल और एंटीप्रुरिटिक गुण पाए जाते हैं, जो खुलजी और दानों की परेशानी को दूर करने में प्रभावी हो सकते हैं।
नीम के पत्ते और तेल
नीम के पत्ते या तेल भी इस संक्रमण पर तेजी से काम करते हैं। नीम का तेल, नीम का साबुन और नीम युक्त क्रीम के साथ ही इसके पत्ते का पेस्ट प्रभावित जगह पर लगाना चाहिए। नीम में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी बैक्टीरियल और एनाल्जेसिक गुण पाए जाते हैं, जो खुजली और स्किन पर एलर्जी की परेशानी को दूर करने में प्रभावी हो सकते हैं।हल्दी भी कारगर
खुजली और दानों की समस्या होने पर हल्दी भी आपके लिए प्रभावी हो सकता है। हल्दी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरस और एंटीसेप्टिक गुण पाया जाता है, जो खुजली के साथ-साथ दानों की समस्या को प्रभावी ढंग से दूर कर सकता है।
टी ट्री ऑयल
खुजली वाले दानों पर टी ट्री ऑयल लगाने से खुजली और दानें दोनों ही कम होंगे। साथ ही 1 बोतल में पानी भरें। अब इसमें टी ट्री ऑयल की कुछ बूंदें मिक्स कर लें। इसके बाद इसे बिस्तर पर स्प्रे करें। नियमित रूप से टी ट्री ऑयल के इस्तेमाल से एलर्जी की संभावना कम होती है। इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी वायरस, एसारिसाइडल और एंटीप्रुरिटिक गुण पाए जाते हैं, जो खुलजी और दानों की परेशानी को दूर करने में प्रभावी हो सकते हैं।
नीम के पत्ते और तेल
नीम के पत्ते या तेल भी इस संक्रमण पर तेजी से काम करते हैं। नीम का तेल, नीम का साबुन और नीम युक्त क्रीम के साथ ही इसके पत्ते का पेस्ट प्रभावित जगह पर लगाना चाहिए। नीम में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी बैक्टीरियल और एनाल्जेसिक गुण पाए जाते हैं, जो खुजली और स्किन पर एलर्जी की परेशानी को दूर करने में प्रभावी हो सकते हैं।हल्दी भी कारगर
खुजली और दानों की समस्या होने पर हल्दी भी आपके लिए प्रभावी हो सकता है। हल्दी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरस और एंटीसेप्टिक गुण पाया जाता है, जो खुजली के साथ-साथ दानों की समस्या को प्रभावी ढंग से दूर कर सकता है।
लौंग का तेल
खुजली की परेशानी होने पर लौंग तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। लौंक तेल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं, जो खुजली की समस्या को दूर करने में प्रभावी हो सकते हैं।
खुजली की परेशानी होने पर लौंग तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। लौंक तेल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं, जो खुजली की समस्या को दूर करने में प्रभावी हो सकते हैं।
(डिस्क्लेमर: आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए दिए गए हैं और इसे आजमाने से पहले किसी पेशेवर चिकित्सक सलाह जरूर लें। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने, एक्सरसाइज करने या डाइट में बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)