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घुटने के दर्द से पाएं छुटकारा! आईआईटी गुवाहाटी ने खोजे मेनिस्कस टियर के 3 कारगर इलाज

IIT Guwahati knee meniscus tear treatment : आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने घुटने की जटिल समस्या मेनिस्कस टियर के इलाज के लिए तीन नए तरीके खोजे हैं। घुटने का मेनिस्कस एक गद्देदार ऊतक होता है, जो जोड़ को सहारा देता है। चोट लगने, खेल खेलते समय या उम्र बढ़ने के कारण इसमें tear या दरार आ सकती है। इससे चलने-फिरने में दिक्कत होती है।

Mar 29, 2024 / 09:51 am

Manoj Kumar

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Say Goodbye to Knee Pain Three Ingenious Therapies for Meniscus Tears

IIT Guwahati knee meniscus tear treatment : IIT गुवाहाटी के वैज्ञानिकों ने घुटने की जटिल समस्या मेनिस्कस टियर के इलाज के लिए तीन नए तरीके खोज निकाले हैं। मेनिस्कस टिश्यू घुटने के जोड़ को कुशन का काम करता है। चोट लगने, खेल खेलते समय या उम्र बढ़ने के कारण मेनिस्कस टिश्यू में tear हो सकता है। इस टिश्यू के टूटने से चलने, दौड़ने और रोजमर्रा के कामों में दिक्कत होती है।
यह तरीका मौजूदा इलाज से सस्ता है

IIT गुवाहाटी के वैज्ञानिकों ने कोलकाता की यूनिवर्सिटी ऑफ एनिमल एंड फिशरी साइंसेज के साथ मिलकर ये इलाज खोजे हैं। इन तरीकों में सिल्क फाइब्रोइन और दूसरे पॉलीमरों को मिलाकर हाइड्रोजेल बनाना शामिल है। सिल्क मजबूत, लचीला होता है और शरीर इसे अपना लेता है। इसलिए डॉक्टर इसका इस्तेमाल करके मेनिस्कस की चोट का इलाज कर सकते हैं।
यह तरीका मौजूदा इलाज से सस्ता है, जिसमें पॉलीयूरेथेन या कोलेजन का इस्तेमाल होता है। साथ ही, इस तरीके से हर मरीज के लिए अलग इलाज बनाया जा सकता है। इससे भविष्य में होने वाली आर्थराइटिस जैसी समस्याओं से भी बचा जा सकता है।
मेनिस्कस टियर जल्दी ठीक हो जाएंगे या टूटे हुए टिश्यू को बदला जा सकेगा।

प्रोफेसर बीमन बी मंडल, IIT गुवाहाटी के बायोसाइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग विभाग के अनुसार, “हमने ऐसा इलाज बनाया है जिसे मरीज के हिसाब से बदला जा सके। इससे मेनिस्कस टियर जल्दी ठीक हो जाएंगे या टूटे हुए टिश्यू को बदला जा सकेगा। हमने इस तरीके को बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखा है कि हर उम्र के लोगों के घुटने के आकार और साइज में अंतर होता है। साथ ही, यह तरीका घाव को भरने में मदद करने वाले तत्व भी प्रदान करता है.”
इन तीन तरीकों में से एक इंजेक्टेबल हाइड्रोजेल है, जिसे सीधे घुटने में टियर वाली जगह पर लगाया जा सकता है। इससे छोटे मेनिस्कस टियर जल्दी ठीक हो जाते हैं। वैज्ञानिकों ने 3D बायो-प्रिंट करने वाली दो स्याही भी बनाई हैं, जिनसे इंप्लांट बनाए जा सकते हैं।
इन तरीकों के बारे में तीन रिसर्च पेपर लिखे गए हैं, जिन्हें दो अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स, एप्लाइड मटेरियल्स टुडे और एडवांस्ड बायोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।

प्रोफेसर मंडल का कहना है कि, “अभी घुटने के इलाज के लिए 3D इंप्लांट की बहुत जरूरत है, जो हर मरीज के हिसाब से बनाए जा सकें और सस्ते हों। मौजूदा आर्टिफिशियल इंप्लांट हर किसी के घुटने के लिए सही नहीं होते हैं। वहीं दूसरी तरफ, ट्रांसप्लांट में इंफेक्शन का खतरा रहता है। साथ ही, ये इंप्लांट या तो बहुत कड़े होते हैं या बहुत ज्यादा लचकदार होते हैं, जो घुटने के लिए सही नहीं होता। इसके अलावा, शरीर इन्हें आसानी से अपना नहीं ले पाता है।”

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