Karnataka Association of Resident Doctors के अध्यक्ष डॉ. शिरीष शिवरामय्या ने शुक्रवार को कहा कि कई ज्ञापन देने और अधिकारियों के साथ बैठकों के बावजूद स्टाइपेंड में कोई वृद्धि नहीं हुई है। इससे रेजिडेंट चिकित्सक वित्तीय, पेशेवर और व्यक्तिगत तनाव में हैं। मरीजों की देखभाल पर काफी असर पड़ रहा है। रेजिडेंट चिकित्सक बिना ब्रेक के 24 से 48 घंटे काम करते हैं। बावजूद इसके रेजिडेंट चिकित्सक अपने हक से वंचित हैं। पड़ोसी राज्य सरकारें हर वर्ष और कुछ तो हर तीन वर्ष पर वृत्तिका Stipend में बढ़ोतरी करती हैं।
उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों के रेजिडेंट चिकित्सकों की तुलना में कर्नाटक Karnataka के चिकित्सकों को 50 फीसदी कम वृत्तिका मिलती है। ऊपर से कर्नाटक देश के सबसे ज्यादा चिकित्सा पाठ्यक्रम फीस वाले राज्यों में से एक है। केएआरडी की मांग है कि उन्हें अन्य राज्यों के समान स्टाइपेंड और नियमित वेतन वृद्धि दी जाए। पिछली बार वर्ष 2020 में स्टाइपेंड में बढ़ोतरी हुई थी।