जीवनभर की सेहत पर शुरुआती शुगर सेवन का प्रभाव Effects of early sugar intake on lifelong health
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन बच्चों के शुगर सेवन को गर्भावस्था से पहले 1,000 दिनों के दौरान नियंत्रित किया गया, उनमें टाइप 2 डायबिटीज का खतरा 35 प्रतिशत तक कम हो सकता है। इसके अलावा, उच्च रक्तचाप का खतरा भी 20 प्रतिशत तक घट सकता है। यह अध्ययन प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका साइंस में प्रकाशित हुआ है और इसके निष्कर्ष बताते हैं कि बचपन के पहले दो साल के दौरान शुगर का सेवन सीमित करना, जीवनभर की स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव में मददगार हो सकता है।
डायबिटीज और उच्च रक्तचाप का बढ़ता खतरा Increased risk of diabetes and high blood pressure
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सिफारिश के अनुसार, दो साल से छोटे बच्चों को किसी भी तरह की अतिरिक्त शुगर नहीं दी जानी चाहिए। वयस्कों के लिए यह सीमा 12 चम्मच (50 ग्राम) प्रतिदिन से अधिक नहीं होनी चाहिए। इस अध्ययन के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान शुगर सेवन पर नियंत्रण के साथ-साथ ठोस आहार के दौरान भी शुगर की मात्रा पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। इससे न सिर्फ बीमारियों का खतरा घटता है बल्कि जीवन की गुणवत्ता और उम्र बढ़ाने में भी मदद मिलती है।
शुगर सेवन में कमी लाने से खर्चों में कटौती
शोधकर्ताओं के अनुसार, शुगर की मात्रा पर नियंत्रण रखने से लंबी अवधि में चिकित्सा खर्चों में भी कमी लाई जा सकती है। डायबिटीज का जल्द पता चलना न सिर्फ खर्च बढ़ाता है बल्कि जीवन प्रत्याशा को भी प्रभावित करता है। एक दशक पहले डायबिटीज की पहचान होने से उम्र में 3 से 4 साल की कमी हो सकती है।
खाद्य कंपनियों पर नियंत्रण की अपील
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि बच्चों के आहार में शुगर की मात्रा को कम करना आसान नहीं है क्योंकि आजकल शुगर लगभग सभी खाद्य पदार्थों में पाई जाती है, यहां तक कि शिशु और टॉडलर फूड्स में भी। इस समस्या के समाधान के लिए शोधकर्ताओं ने सरकार और नीति निर्माताओं से आग्रह किया है कि वे खाद्य कंपनियों को बच्चों के लिए स्वस्थ विकल्पों के साथ बेबी फूड्स को पुनः तैयार करने के लिए प्रेरित करें, साथ ही शुगर युक्त खाद्य पदार्थों पर नियंत्रण एवं करों की मांग भी करें।