Parkinson’s disease : अमेरिका में सर्वाधिक, इटली में न्यूनतम मामले
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में पार्किंसन रोग (Parkinson’s disease) के सबसे ज्यादा निदान किए गए मामलों की संभावना है, जो 1.24 मिलियन तक पहुंच सकते हैं। वहीं, इटली में सबसे कम, लगभग 0.16 मिलियन मामलों का अनुमान है।Parkinson’s disease : उम्रदराज आबादी है प्रमुख कारण
रिपोर्ट में बताया गया है कि 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोग इस बीमारी से सबसे अधिक प्रभावित हैं। 2023 में इस आयु वर्ग के 90% से अधिक मामलों का निदान किया गया। वहीं, 18-39 वर्ष के आयु वर्ग में यह संख्या 1% से भी कम है।Parkinson’s disease : लक्षण और प्रभाव
पार्किंसन रोग (Parkinson’s disease) मुख्य रूप से आंदोलन विकार के रूप में जाना जाता है। इसके प्रमुख लक्षणों में कंपन, मांसपेशियों की कठोरता और चलने-फिरने में कठिनाई शामिल हैं। यह बीमारी अल्जाइमर के बाद सबसे आम क्रॉनिक न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार है। यह भी पढ़ें : सर्दियों में कैसे खाएं बादाम, भीगे हुए या सूखे?
पुरुषों में मामलों की संख्या अधिक
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि पुरुषों में इस बीमारी का प्रचलन महिलाओं की तुलना में थोड़ा अधिक है।इलाज की स्थिति
फिलहाल, पार्किंसन (Parkinson’s disease) का कोई स्थायी इलाज उपलब्ध नहीं है। हालांकि, वर्तमान उपचार केवल लक्षणों को प्रबंधित करने में सहायक हैं, लेकिन बीमारी की प्रगति को रोकने या धीमा करने का तरीका अभी तक खोजा नहीं जा सका है।भविष्य की चुनौतियां और रणनीतियां
ग्लोबलडाटा के वरिष्ठ महामारी विज्ञानी राहुल एन रवि के अनुसार, “पार्किंसन रोग (Parkinson’s disease) वृद्ध आबादी को प्रभावित करने वाली सबसे आम क्रॉनिक बीमारियों में से एक है।” बढ़ती उम्रदराज आबादी वाले देशों को इस बीमारी की बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य देखभाल में सुधार और बेहतर रणनीतियां विकसित करने की आवश्यकता होगी।विशेष रूप से सात देशों पर अधिक प्रभाव
आने वाले 10 वर्षों में, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, ब्रिटेन और जापान जैसे देश पार्किंसन रोग (Parkinson’s disease) के प्रभाव को सबसे अधिक महसूस करेंगे। इन देशों में बढ़ती वृद्ध आबादी के कारण इस बीमारी का खतरा तेजी से बढ़ने की संभावना है। यह भी पढ़ें : Rashmika Mandanna के फिटनेस का राज: टोंड बेली के लिए डाइट प्लान पार्किंसन (Parkinson’s disease) एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बनता जा रहा है। इसका समाधान केवल बेहतर जागरूकता, शोध और वृद्ध आबादी के लिए समर्पित स्वास्थ्य सेवाओं के विकास से ही संभव हो सकता है।