मस्तिष्क के बाहर भी मौजूद है स्मृति का भंडार Memory storage is also present outside the brain
नेचर कम्युनिकेशन्स पत्रिका में प्रकाशित इस शोध के अनुसार, शरीर की अन्य कोशिकाएं भी नई जानकारियों को सीखने और स्मृतियों को संजोने (Memory storage) में सक्षम होती हैं। शोध के प्रमुख लेखक निकोले वी. कुकुश्किन के अनुसार, गैर-मस्तिष्कीय कोशिकाएं भी किसी प्रतिक्रिया के समय “मेमोरी जीन” को सक्रिय कर सकती हैं।किस प्रकार करती हैं अन्य कोशिकाएं स्मृतियों का संचित?
शोधकर्ताओं ने यह पाया कि जब मस्तिष्क कोशिकाएं सूचना में पैटर्न ढूंढ़ती हैं, तो वे मेमोरी जीन को सक्रिय करती हैं और अपनी संरचना को पुनर्गठित करती हैं। यह प्रक्रिया अन्य कोशिकाओं में भी देखी गई है। विभिन्न रासायनिक संकेतों के प्रति प्रतिक्रिया करते हुए, इन कोशिकाओं में भी स्मृति (Memory) और सीखने की प्रक्रिया सक्रिय होती है। यह भी पढ़ें : Shilpa Shetty ने 32 किलो वजन कैसे घटाया: सरल टिप्स फॉलो करें
प्रोटीन के माध्यम से स्मृति की पहचान
शोधकर्ताओं ने यह जानने के लिए प्रोटीन का उपयोग किया कि क्या गैर-मस्तिष्कीय कोशिकाओं में स्मृति (Memory) संबंधी जीन सक्रिय हैं। निष्कर्ष से पता चला कि जैसे ही रासायनिक संकेत दोहराए गए, इन कोशिकाओं में भी मेमोरी जीन सक्रिय होने लगे, जो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली से मिलती-जुलती प्रक्रिया है।ब्रेक के साथ सीखना है अधिक प्रभावी
शोध में यह बात भी उभरकर सामने आई कि जब कोशिकाओं को सीखने के बीच अंतराल या ब्रेक दिया गया, तो यह प्रक्रिया अधिक प्रभावी साबित हुई। जैसे कि हमारे मस्तिष्क के न्यूरॉन्स ब्रेक लेकर अधिक प्रभावी ढंग से सीखते हैं, उसी प्रकार अन्य कोशिकाएं भी ब्रेक लेने के बाद नई जानकारियों को लंबे समय तक बनाए रखती हैं।समय-समय पर सक्रिय करने से मेमोरी जीन को मिलती है मजबूती
शोधकर्ताओं ने देखा कि जब स्मृति संबंधी संकेतों को कोशिकाओं में अलग-अलग अंतराल पर दोहराया गया, तो मेमोरी जीन अधिक समय तक सक्रिय रहे। इसके विपरीत, अगर यही प्रक्रिया लगातार की गई, तो इसका प्रभाव दीर्घकालिक नहीं रहा।नई चिकित्सा संभावनाओं की दिशा में कदम
कुकुश्किन के अनुसार, यह शोध हमें केवल मस्तिष्क की कोशिकाओं पर ध्यान देने से परे, शरीर की सभी कोशिकाओं में स्मृति और सीखने की क्षमता को समझने का अवसर देता है। इससे न केवल मस्तिष्क संबंधी विकारों के उपचार में नई राहें खुलेंगी, बल्कि स्वास्थ्य सुधार के लिए शरीर को मस्तिष्क की तरह काम करने की दिशा में भी प्रेरित किया जा सकेगा। यह अध्ययन नई चिकित्सा संभावनाओं को जन्म देने के साथ ही शरीर और मस्तिष्क के बीच गहराई से जुड़ी जटिलताओं को उजागर करता है।