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स्वास्थ्य

जोड़ों के दर्द से छुटकारा पाने के लिए नेविगेशन तकनीक का उपयोग करें

Joint pain : भारत में हर साल तकरीबन 70,000 घुटने और हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी होती हैं। आजकल लोगों की लाइफस्टाइल पूरी तरह से खराब हो गई है, जिसकी वजह से अब युवाओं में भी जोड़ों की समस्या होने लगी है।

Nov 03, 2023 / 01:57 pm

Manoj Kumar

Joint pain knee and hip replacement

Joint pain : knee and hip replacement

Joint pain : भारत में हर साल तकरीबन 70,000 घुटने और हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी (knee and hip replacement ) होती हैं। आजकल लोगों की लाइफस्टाइल पूरी तरह से खराब हो गई है, जिसकी वजह से अब युवाओं में भी जोड़ों की समस्या होने लगी है। हालांकि अब आधुनिक तकनीकों ने इस सर्जरी को आसान और सुरक्षित बना दिया है।
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अलाइनमेंट का ध्यान
घुटनों या हिप रिप्लेसमेंट (knee and hip replacement ) के लिए सर्जन को अलाइनमेंट का खास ध्यान रखना होता है। प्रत्यारोपण के दौरान जितना अलाइनमेंट पास होता है, उतना ही घुटना प्राकृतिक रूप से सही रहता है। अगर जोइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी में अलाइनमेंट 3 डिग्री तक अलग रह जाता है, तो रिप्लेसमेंट सर्जरी के फेल होने की आशंका ज्यादा रहती है, इसलिए अलाइनमेंट में सटीकता लाने के लिए ऑर्थोपेडिक सर्जन अब नेविगेेशन तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हंै। इस तकनीक में सर्जन ऑपरेशन से पहले ही कम्प्यूटर की मदद से अलाइनमेंट निश्चित कर लेते हैं। इसी वजह से इसे जीरो एरर तकनीक भी कहा जाता है।
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बढ़ रहे हैं मामले
नेविगेशन तकनीक के इन्हीं फायदों के मद्देनजर अब देश के बड़े शहरों के साथ-साथ जयपुर में भी इस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। इसमें सर्जन को रोगी के शरीर में छोटा-सा कट लगाना पड़ता है, जिससे मांसपेशियां और लिगामेंट बहुत कम क्षतिग्रस्त होते है। इस तकनीक से इलाज करने पर मरीज अगले दिन से चलने-फिरने, बैठने लग जाता है और तीसरे दिन वह वेस्टर्न टॉयलेट यूज कर सकता है। तीन-चार दिन में अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। इस तकनीक से घुटने का प्रत्यारोपण (Knee transplant) करने पर लगभग डेढ़ लाख का खर्च आता है।
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कारगर तकनीक
एक बार घुटने का प्रत्यारोपण कराने पर 15 साल के बाद दोबारा सर्जरी करानी पड़ती है, लेकिन इस नेवीगेशन तकनीक से इलाज कराने पर घुटने की उम्र २० से २५ साल के लिए बढ़ जाती है और मरीज को दोबारा सर्जरी नहीं करानी पड़ती।
डॉ. आशीष शर्मा, संतोकबा दुर्लभजी मेमोरियल अस्पताल, जयपुर
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

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